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आत्मा परमात्मा

9 नवम्बर 2023

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शीर्षक - आत्मा और परमात्मा 


आत्मा और परमात्मा जीवन में हम सभी मनुष्य मानव सभी की साथ आत्मा और परमात्मा का अर्थ होता है जैसे हम सभी ईश्वर की बनाई हुई दुनिया या संसार में जन्म लेते हैं और जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु या अंत निश्चित है।

                      एक गांव और गांव में रात के समय चौपाल लग रही है चौपाल में नरेंद्र और अपने दोस्तों के साथ बैठा हुआ है तभी पंचायत के पंच परमेश्वर आते हैं और वह भी नरेंद्र दोस्तों से कहते हैं अरे भाई चौपाल में क्या चल रहा है नरेंद्र कहता है आप पंच परमेश्वर हैं आप ही कुछ बताइए हम तो कुछ जानते नहीं है तभी नरेंद्र की एक दोस्त पंच परमेश्वर से आत्मा और परमात्मा के विषय में पूछ बैठता है तभी पंच परमेश्वर अपनी सीटों पर बैठ जाते हैं अपना आसन ग्रहण करते हैं और उसके बातों को समझती हैं बोले आत्मा तो हम सभी के शरीर में मौजूद है और जो आत्मा हम सभी के शरीरों में मौजूद है वही परमात्मा का स्वरूप होती है। आत्मा और परमात्मा का यही स्वरूप वैसे ही है जैसे ही नर और नारायण वही तो हम सब सोचते हैं और समझते हैं परंतु जीवन के इस सांसारिक रंगमंच पर हम सभी मानव जन्म और मृत्यु को समझते हैं परंतु समझते तो हैं परंतु सांसारिक मोह माया लोग लालच और स्वार्थ में हम सब आत्मा परमात्मा का अंतर भूल जाते हैं आज आधुनिक युग में नर नारी दोनों आप देखें कहीं-कहीं तो नर नारी में फर्क लगाना भी मुश्किल आता है बस आत्मा और परमात्मा का भी यही युग है और लीला है क्योंकि आत्मा और परमात्मा भी एक दूसरे का स्वरूप यह पूरक है हम सब कहानी पढ़ रहे हैं आत्मा और परमात्मा साथ ही हम सब इस कहानी के किरदार भी हैं।

                   आत्मा और परमात्मा के साथ तर्क और ज्यादा कुछ तो नहीं कह सकती परंतु बस आत्मा परमात्मा का यही कथन है कि हर मानव शरीर में आत्मा विराजती है। सच तो यह है कि आज हम सब अपने अंतर मन और अंतरात्मा का अंतर सभी भूल चुके हैं और आधुनिक युग की लोभ मोह माया के युग में हम सभी एक दूसरे को धोखा दे रहे हैं फरेब कर रहे हैं। परंतु हम यह भूल चुके हैं की आत्मा भी हम हैं और परमात्मा के बंदे भी हमें क्योंकि हम आज के समाज में देखें कि हम में से ही कोई संत महात्मा बनते हैं तो संत महात्मा कैसे बनते हैं यह हम एक समाज और सांसारिक बातों को भूलकर और लोग मोह माया का स्वार्थ छोड़कर निस्वार्थ भाव जीवन का अनुसरण करते हैं और बस आत्मा और परमात्मा को समझ सकते हैं।

               आज आज का सच तो यही है की आत्मा परमात्मा का मतलब ही हम सब भूल चुके हैं बस आज एक आधुनिक समय और सांसारिक आकर्षण के साथ हम धन और संपत्ति के लालच में बस दौड़ते ही जा रहे हैं दौड़ते ही जा रहे हैं। और अपने सभी संबंधी अपने रिश्ते नातों को पीछे छोड़ते ही जा रहे हैं पीछे छोड़ दी जा रहे हैं। बस आत्मा परमात्मा को यही कह सकते हैं की आत्मा भी हम हैं और परमात्मा की राह भी हमारे साथ है और हम सब जने आत्मा और परमात्मा को सांसारिक समाज में तलाश करते हैं।

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शीर्षक - आत्मा और परमात्मा  आत्मा और परमात्मा जीवन में हम सभी मनुष्य मानव सभी की साथ आत्मा और परमात्मा का अर्थ होता है जैसे हम सभी ईश्वर की बनाई हुई दुनिया या संसार में जन्म लेते हैं और जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु या अंत निश्चित है।

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