ज़ब त्यौहार बीत जाते है,
तो सब मेहमान घर चलें जाते है,
नहीं रहती आस - पास कोई रौनक,
अपने दिन बस यूं ही निकल जाते है,
याद रहती है, अपनों की मिठास,
दिल रहें जाता है बस उदास,
ज़ब सारे त्यौहार बीत जाते है,
तो सब अपने बहुत याद आते है,
फिर किसी काम में नहीं लगता मन
रहती मन में एक उलझन,
चारों तरफ बस तन्हाई छा जाते है,
ज़ब सारे त्यौहार सारे बीत जाते है.