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बचपन की दोस्ती

28 दिसम्बर 2022

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उस बचपन की क्या कहें,
जो कुदरत के हर सच्चाई से अवगत था।
हर सच्चाई को कहने की आदत थी
प्रेम और विश्वास का जीवन था।।

बचपन की दोस्ती थी
जो हमें आज भी याद आती है।
एक थाली में खाते थे
प्यार और मोहब्बत को सिखलाती है।।

नहीं थी धन दौलत ,
लेकिन सच्चे दोस्त होते थे।
झूठ और फरेब नहीं होता,
हकीकत के अंदाज होते थे।।


जुदा हो गए उस दोस्ती से,
जो बचपन के हर पल याद दिलाती है।
वक्त बदल गए बदली जन शीरत,
चेहरे बचे लेकिन दोस्ती नहीं बाकी है।।


जो कहते थे कि,
 एक पल ना रहेंगे तुम्हारे बिना।
वे आज मुड़कर नहीं देखते,
हम हैं कहां।।

किसी को दौलत ने जकड़ा,
बचपन की खुशियां बेच कर जवान हो गए।
कुछ लोग बच्चों और बीवी के,
प्यार के गुलाम हो गए।।

हम हैं कि भूलते नहीं उसकी दोस्ती,
बचपन हमें जब याद आता है।
उनकी हर नसीहत की यादें,
हमें ताजा कर जाता है।।


वे बचपन भूल गए ,
जहां प्रेम की असीम खुशियां होती थी।
एक पल दोस्त की दूरियां,
आंखों को आंसूओं से भिगोती थी।।


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रचनाएँ
लफ्जों के अल्फाज
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इस पुस्तक माध्यम से मेरे दैनिक विचारों का संगम आपके सामने प्रस्तुत किया जायेगा जिसमें मेरी दैनिक जीवन की भावनाएं काव्य के रुप में आपके सामने प्रस्तुत किए जायेंगें।
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आत्मसम्मान

4 दिसम्बर 2022
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4 दिसम्बर 2022
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शब्द.इन मेरे अरमानों की दुनिया

8 दिसम्बर 2022
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शब्द.इन मेरे लिए मेरे विचार प्रकाशित करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म मिला है। मैं इसके प्रबंधन एवं हर उस सदस्य का आभार व्यक्त करना चाहूंगा जो दिन रात की मेहनत के बल पर इस प्लेटफॉर्म को सुचारू ढंग

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गरीबी से क्यों रोता है मनुज??

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"" रोना रोते हैं गरीबी का ,कभी कारण जाना नहीं। हम नकारे है दुनिया के,हमने कभी माना नहीं।। हे इंसान धरा पर ,जब तू जन्म लेकर आया था। क्या अमीर अपने साथ धन दौलत लाया था।। अमीर ने भी सब कुछ, यहीं

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दिल के अल्फाज

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रूबिका मर्डर

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कभी रूबिका कभी श्रद्धा,हैवानों के चंगुल आई।कभी 35 कभी 50 खंडों में,विश्वास की दुनिया उनने पाई।।फंसा जाल में पापी जग में,क्यों नारी के दुश्मन बने।क्यों विश्वास का गला घोंटते,पापी सीरत से शैतान बने।सुनो

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22 दिसम्बर 2022
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मन की शक्ति बड़ी है,मनुष्य की आध्यात्मिकता के लिए।अपने अंदर की शक्ति को जाने,ईश्वर को जानने के लिए।।सत्य और अहिंसा के पथ पर चल,अध्यात्म स्वत: ही बढ़ता जायेगा।होगी ईश्वर शक्ति मनुष्य के पास,जब तीसरा ने

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मैं क्या हूं मुझे खुद भी पता नहीं।मेरी जिंदगी का मकसद क्या मैं बाकिफ नहीं।तमन्नाओं का पहाड़ खड़ा कर रखा है।संघर्षों के पथ में बढ़ता नहीं।।थोडी सी मुश्किलों से विचलित हो जाता हूं।इसलिए लोग मुझे विचलित

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मैं उनके शब्दों में थी

27 दिसम्बर 2022
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मैं उनके लफ्जों में थी जिंदगी बनकर।मैं उनके ख्वाबों में थी ख्बाव बनकर।तमन्नाएं थी कुछ नहीं बस उसकी चाहत के सिवा।मेरे रोग की बस तुम ही थे दवा।।मैं तो सब कुछ समझती थी तुम्हें।मैं कैसे महसूस करूं कि तुम

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खुशियां रख करते विदाई,हम पिछले बरस को।नई उम्मीद और नये संकल्प के साथ,बैचेन है हम नव वर्ष दरश को।कोरोना की महामारी से ,इस साल हमने निजात पाई थी।रूस ने यूक्रेन में जाकर ,खूब हाहाकार मचाई थी।।अंतिम दिनों

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31 दिसम्बर 2022
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मुबारक हो तुम्हें नया साल

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सुमन सुशोभित गुलशन हो मन जन,सदा सुखी रहें तेरा हर काल।हम दुआएं करते रब और कुदरत से।मुबारक हो तुम्हें नया साल,संकट तेरे जीवन में दूर रहें।दुर्गुण तेरे जीवन से परे रहे।मानवता के बीज अंकुरित हो।रिश्ते गह

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31 दिसम्बर 2022
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छठ पूजा: आस्था और सूर्य उपासना का पर्वछठ पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, और नेपाल में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य भगवान और उनकी पत्न

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बाल दिवस

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