""
रोना रोते हैं गरीबी का ,कभी कारण जाना नहीं।
हम नकारे है दुनिया के,हमने कभी माना नहीं।।
हे इंसान धरा पर ,जब तू जन्म लेकर आया था।
क्या अमीर अपने साथ धन दौलत लाया था।।
अमीर ने भी सब कुछ, यहीं से पाया है ।
देख जरा उसको,जो गरीबी से उठकर आया है।।
यहां लोग धूल से भी ,पैसे उपजाते है।
क्योंकि वे "क्यों" की आंतरिक यह तक जाते हैं।।
मौके खोज श्रम गले लगा, तेरे अंदर ही कनक खजाना है।
मेरे पास करने को कुछ नहीं,यह तेरे मन का बहाना है।।
समक्ष रखा भोजन से ,कभी भूख नहीं मिटती।
बिना राह चले कभी मंजिल नहीं मिलती।।
लक्ष्य करके जो बढ़ गये, उम्मीदों को हासिल किया है।
जो अनवरत करते मेहनत, अमीरी का सफर हासिल किया है।।
अगर विचारों जज्बातों से अमीर तू,सपने सच हो जायेंगे।
सफलता मिलेगी अवश्य,गरीबी चुनौती समझ जो कदम बढ़ाएंगे।।""