"यह लीजिए दीनानाथ जी,आपकी आवेदन को मैंने टाइप कर दिया है।आप इसे अपने प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी के पास लेकर चले जाइए।"टाइप करने वाले ने रुपए अपनी जेब में रखते हुए कहा।
दीनानाथ यह सुनकर बोले"यह सब तो ठीक है। मगर, हमारी नई प्रखण्ड विकास पदाधिकारी जी कैसी है?सुना है, बड़ी ही ईमानदार महिला पदाधिकारी है।"इतना कहकर दीनानाथ अपने घर चले गए। दूसरे दिन वह अपना आवेदन पत्र लेकर कार्यालय में गए। ऑफिस में जाने की अनुमति मिली।
जैसे ही उन्होंने प्रखण्ड विकास पदाधिकारी को देखा, हैरान रह गए। यह क्या और कैसे हो गया?इसकी तो कल्पना भी उन्होंने नहीं किया था। जिस लड़की को अछूत कहकर उन्होंने समाज के सामने उसका अपमान किया था।आज वही लड़की पदाधिकारी बनकर उनकी समस्याओं का निदान करेगी!वह बस... चुपचाप खड़े थे। उस समय वहां कुछ अधिकारी और कर्मचारी भी बैठे हुए थे। दीनानाथ को देखकर वह महिला पदाधिकारी बोली"कैसे आना हुआ आपको? बैठिए ना।"दीनानाथ तो शर्म के मारे अपना सिर नीचे किए हुए थे।
दीनानाथ की ऐसी हालत को देखकर वह महिला पदाधिकारी मुस्कुराते हुए बोली"आप चिंता मत कीजिए। मैं भले ही अछूत हूं, मगर... आपका काम नहीं रुकेगा।"इतना कहकर वह आवेदन पत्र पर हस्ताक्षर कर देती है। दीनानाथ अब वहां ज्यादा रुकना ठीक नहीं समझे।वह आवेदन पत्र लेकर चले गए। वहां मौजूद अधिकारी और कर्मचारी महिला पदाधिकारी की व्यंग्य भाषा को समझ नहीं पा रहे है, मगर दीनानाथ जरूर समझ गए थे।