भीखू उदास मन से अपनी झोपड़ी के बाहर बैठा हुआ था। ऐसा लग रहा था कि मानो मन _ही मन किसी गहरी समस्या से उलझा हुआ है। मई का महीना था। उस दिन ज्यादा गर्मी पड़ने के कारण वह रिक्शा चलाने भी नहीं गया। पत्नी दुखिया भी पड़ोस के यहां छिट पुट काम करती थी। भिखु को कोई बेटा नहीं था।संतान के नाम पर बस, निर्मला नाम की इकलौती बेटी थी।आज बेटी विवाह के लायक हो गई है। अगर, रुपए होता तो इसी फागुन के महीने में पंडित जी अच्छी लगन दिखा कर भिखू शादी कर देता।मगर, इस दहेजलोभी दुनिया में गरीब की बेटी से भला कौन शादी करता?
बस, इसी चिंता में वह डूबे जा रहा था।तभी दुखीया आई।देखी, भीखु तो उदास होकर बैठा हुआ है।वह उसकी उदासी की वजह जानती थी। फिर भारतीय नारी की धर्म निभाते हुए बोली"देखो जी,अब उदास बैठने से तो कुछ होगा नहीं। मुझे पूरा विश्वास है कि अपनी निर्मला के लिए कोई ना कोई लड़का जरूर आएगा। अच्छा चलो उठो,कुछ लकड़ियां काट दो। खाना बनाना है।"पत्नी दुखिया की बात सुनकर भीखू कुछ नहीं बोला।बस, उठा और कुल्हाड़ी लेकर द्वार पर रखी गई लकड़ी को काटने लगा।
रात को खाना खा लेने के बाद निर्मला तो सोने चली गई, मगर भीखू और उसकी पत्नी दुखिया आपस में बातें कर रहे थे।"अच्छा,तुम जरा रामनरेश से कहो ना अपनी निर्मला के लिए कोई अच्छा सा लड़का देखे।"दुखिआ बोली। यह सुनकर भीखू बोला"कहा तो था, मगर वह कहता है कि दहेज का जमाना है। क्या तुम उतना दहेज दे सकोगे?"
इतना कहकर वह चुप हो गया। दुखिया भी कुछ नहीं बोली, क्योंकि सारी फसाद की जड़े तो दहेज ही है। निर्मला बहुत ही संस्कारी और खूबसूरत लड़की थी। थोड़ा कम पढ़ी थी,मगर बड़ी ही समझदार थी।
मगर,क्या लाभ?इस संसार में अगर बेटी ब्याहना है तो बेटी को संस्कार दो, शिक्षा दो,बेटी और तो और.... दहेज भी दो।यह कहां का न्याय है? यही सारे बातें सोचकर दुखिया भारी मन से सोने के लिए चली गई। भीखू भी कुछ देर तक खामोश बैठा रहा, फिर उठकर चल दिया। इसके बाद, कई दिनों तक निर्मला के लिए भीखू ने लड़का ढूंढा,मगर कोई लाभ नहीं। पहले तो लोग निर्मला की स्वभाव और सुंदरता को जानकर स्वीकार कर लेते,बाद में जब दहेज की चर्चा होती तब... मुंह फेर लेते।
अब थक हारकर दोनों पति_पत्नी बैठ गए।फिर एक दिन अचानक सफेद चमकती हुई गाड़ी से एक अधेड़ आदमी उतरा।उसे देखकर भीखू डर सा गया। खाट से खड़ा होकर कापते हुए स्वर में अभिवादन किया।फिर बोला"जी, मै आपको नहीं जानता है।आप कौन?"
वह अधेड़ आदमी बोला"मै तुम्हारी बेटी से विवाह करना चाहता हूं। बहुत खुश रहेगी मेरे पास।जीवन की हर चीज उसे दूंगा। क्या तुम्हें यह रिश्ता मंजूर है?"उस अधेड़ आदमी की बातें सुनकर दुखिआ और भीखू तो हैरान रह गए। अठारह साल की सुंदर और सुकुमारी को एक अधेड़ आदमी से कैसे विवाह करा देते?मगर, नियति से कौन जीत सकता है? आखिर कब_तक जवान हो रही बेटी को घर पर रखते और, बदनामी की बातें सुनते?फिर वहीं हुआ। अपने दिल पर पत्थर रखकर निर्मला को उस अधेड़ आदमी से बियाहा गया।बिना कोई दहेज दिए।कैसा है हमारा समाज....?