बिजेंद्र जो पल्ल्वी और मोहनलाल जी का बड़ा बेटा है और नीलिमा का ,रिश्ते में जेठ भी है। उसका भी विवाह हुआ और उसकी पत्नी के गलत व्यवहार के चलते, उसका तलाक़ भी हो गया। नीलिमा के अच्छे व्यवहार को देखते हुए ,मोहनलाल जी को अपनी बड़ी बहु का व्यवहार स्मरण हो आता है। जो अपनी सहेलियों के कहने पर ,अपना गर्भपात करा आती है और इस बात का मोहनलाल और पल्ल्वी को भी ,तभी पता चलता है ,जब दोनों में झगड़ा होता है। बिजेंद्र अपनी पत्नी के व्यवहार से दुःखी था किन्तु जब उसने सुना कि वो बाप बनने वाला है ,तब उसने सोचा -शायद उसकी पत्नी ,अब अपनी ज़िम्मेदारियों को समझेगी किन्तु इसके विपरीत वो बिजेंद्र को बिना बताये ही डॉक्टर से मिल कर ,उस बच्चे को गिरा आती है।
बिजेंद्र आज अपने माता -पिता के सामने ,उसके इस व्यवहार के कारण रो रहा था किन्तु उसकी पत्नी को अपनी गलती का कोई पछतावा नहीं वरन वो और अधिक क्रोध में भर उठी। जब उसने इस बात का कारण पूछा गया तो उसने बताया -कि माँ बनने से लड़कियों की शारीरिक बनावट बिगड़ जाती है और सारा दिन बच्चों में लगे रहने के कारण ,पार्टी में जाना बंद ,सम्पूर्ण आज़ादी समाप्त ! इस कारण वो माँ नहीं बनना चाह रही थी। वो भी किसी तरह से कम नहीं थी। उसने भी अपने पापा को फोन करके बुला लिया और बताया कि उनके दामाद ने उनकी बेटी को पीटा।
आज बिजेंद्र काम पर भी नहीं गया क्योंकि उसकी पत्नी ने काम ही ऐसा किया था। उसका कहीं भी जाने का मन नहीं था। जब क्रोध में बाहर जा रहा था ,तब पल्ल्वी ने अपने बेटे को रोक लिया। अभी वो लोग आपस में बातें कर ही रहे थे कि बहु के पिता अपने साथ उसके दो भाइयों को लेकर आ धमके। उन्हें इस तरह आया देखकर ,वो लोग भी हैरान रह गए। मन में दुःख को दबाये उनका स्वागत किया किन्तु वो जैसे लड़ने के उद्देश्य से ही आये थे । बहु ने भी न जाने ,उन्हें क्या -क्या कहकर बुलाया था ?
उन्होंने भी बिना जाने ,बिना पूछे ,हमारे बेटे से कहा -तुमसे हमने अपनी बेटी का विवाह किया है किन्तु उस पर हाथ उठाने का अधिकार नहीं दिया। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ?उस पर हाथ उठाने की।
बिजेंद्र तो पहले से ही परेशान और दुखी था ,ऊपर से उसके पिता का ये व्यवहार ,वो बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था ,उसने अपने पिता की तरफ देखा। मोहनलाल जी ने उसे शांत रहने के लिए इशारा किया और स्वयं ही बातों को सुलझाने के उद्देश्य से बोले -समधी जी !ये बच्चों की आपस की बात है ,बहु ने न जाने आपसे क्या कहा ?दोनों में थोड़ी अनबन हो गयी। हम लोगों को भी ,अभी पता चला ,उसी विषय पर हम लोग बातचीत कर रहे थे।
बातचीत कर रहे थे ,तुम लोग घर में भी रहते हो या नहीं ,आप लोगों को ये ही नहीं मालूम कि वो अपनी पत्नी को पीटता है।
ये आप क्या कह रहे हैं ?ऐसा आज पहली बार हुआ। वो भी हम, ये ही पता लगा रहे थे , कि झगड़े का क्या कारण रहा ?
झगड़े का कोई भी कारण रहा हो किन्तु इसने हमारी बेटी पर हाथ उठाकर सही नहीं किया। आप जानते हैं !हमारी पहुंच कहाँ -कहाँ तक है ? इसे यूँ........ हाथ से चुटकी बजाते हुए ,चुटकियों में अंदर करवा सकते हैं।
देखिये !आप बात को बढ़ा रहे हैं। जिसके कहने पर ,आप यहां आये हैं ,उससे ये भी पूछा -कि इसके हाथ उठाने का कारण क्या था ?
ऐसा कोई कारण नहीं हो सकता, कि इसे हाथ उठाना पड़े। यदि ऐसी कोई परिस्थिति आ भी गयी थी तब ये लोग आपस में बात करते या फिर हमें बताते। हम भी ,वैसे ही आ जाते ,जैसे अब आये हैं।
आपकी बेटी को अभी बुलाते हैं ,आप उसी से पूछ लीजिये ,कि उसने क्या किया ?जो हमारे बेटे को उस पर हाथ उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा या यूँ कहिये -उसने मजबूर कर दिया। पल्ल्वी ने थोड़ तल्ख़ लहज़े में कहा।
जब बहु सबके सामने आई ,तब अपने पापा और भाइयों के गले मिलकर रोने लगी।
अपनी बेटी का रोना देखकर वे बोले -चलो !तुम अपना सामान बाँध लो ,इस वहशियों के पास अब हम तुम्हें नहीं छोड़ेंगे। जिन्हें इतनी भी तमीज़ नहीं बहु -बेटियों को कैसे रखा जाता है ?
उसके पिता की ज़्यादती देखकर और अपने माता -पिता का अपमान देखकर ,बिजेंद्र से रुका नहीं गया और बोला -हम वहशी हो गए ,आपने अपनी बेटी से भी पूछा - कि इसने क्या कांड किया है ?
उन्होंने अपनी बेटी की तरफ देखा ,वो क्रोध में ,बिजेंद्र से बोली -मेरे पापा ने आज तक भी, मेरे ऊपर हाथ नहीं उठाया ,तुम कौन होते हो ? मुझ पर इस तरह हाथ उठाने वाले।
शायद तुम भूल चुकी हो ,मैं तुम्हारा पति हूँ। मैं बहुत दिनों से इसकी ज्यादतियाँ बर्दाश्त कर रहा था। आप जानते हैं -हमारा बच्चा...... कहकर वो फिर से रोने लगा। अभी दो माह ही हुए थे और इसने उसे आने से पहले ही मार दिया। कहती है -बच्चे आने से इसकी आज़ादी समाप्त हो जाएगी। ये स्वतंत्र होकर जीना चाहती है।
बिजेन्द्र की बातें सुनकर ,उसके पिता भी ,पहले तो........ एकदम से शांत हो गए किन्तु जब अपनी बेटी का समर्थन करने आये थे ,तब अपनी बात को कैसे नीचे गिराते ?बोले -तुम ही बाप नहीं बनने वाले थे ,ये भी तो माँ बनती ,तुमने इसका दुःख नहीं देखा ,अवश्य ही कोई परेशानी रही होगी ,तभी इसने ऐसा कदम उठाया होगा वरना कोई लड़की ,अपने बच्चे को कैसे मार सकती है ? माँ बनने का सौभाग्य ,तो हर लड़की चाहती है। अपने पापा की बात ,समझकर उसने भी तुरंत ही बात बदल दी और बोली -पापा मैं ,बताना नहीं चाहती थी किन्तु डॉक्टरनी ने कुछ परेशानियाँ बताईं थीं , इसीलिए मैंने ये कदम उठाया। उसके इस तरह बात को बदलते देखकर ,बिजेंद्र हतप्रभ रह गया।
उसके पिता का पलड़ा फिर से भारी हो गया और बोला - मेरी बेटी न जाने कितनी -कितनी परेशानियाँ झेलकर ,तुम्हारा घर चला रही है ?और तुमने उसे मारना -पीटना भी आरम्भ कर दिया। ये मैं हरगिज़ बर्दाश्त नहीं करूंगा।
अजी बर्दाश्त तो ,इतने दिनों से इसे हम कर रहे हैं ,इसे इस घर में इतनी ही परेशानी है ,तो इसे अपने साथ ले जाइये !हम जैसे पहले रहते थे ,अब भी रह लेंगे ,इसे अपने महल में ही रखिये ! बिजेंद्र भी तैश में आकर बोला।
उनके दोनों बेटे पिता का चेहरा देख रहे थे ,किन्तु कुछ भी कह नहीं सके ,तब एक ने दबी आवाज में कहा -दीदी का अब यही घर है ,ये कहाँ जाएगी ?
पापा ! मैं आपके साथ ही चलूंगी ,इतनी बेइज्जती कराकर ,अब मैं इस घर में और नहीं रह सकती ,कहकर वो अपना सामान लेने अंदर चली गयी।
पल्ल्वी बात को बिगड़ते देखकर ,उसके पिता से बोली -आप तो बड़े हैं ,अपनी बेटी को समझाना चाहिए था और आप उसकी बातों को स्वयं ही सह दे रहे हैं। इस तरह तो इनका घर सम्भलने की बजाय टूट जायेगा।
ये बात तो आपको ,अपने बेटे को उस पर हाथ उठाने से पहले समझानी चाहिए थी।
आप समझ नहीं रहे हैं ,भाई साहब !बच्चे इस तरह लड़ेंगे तो हमें उन्हें समझाना चाहिए ,न कि समर्थन करना चाहिए। पल्ल्वी जानती थी -बहु के इस तरह घर से चले जाने पर जो हमारे घर की शाख है ,सब मिटटी में मिल जाएगी। सब लोग पूछेंगे -तुम्हारी बड़ी बहु....... घर छोड़कर क्यों चली गयी ?बदनामी हो जाएगी।जैसा वो सोच रही थी -वैसा ही हुआ। बहु अपने पिता के साथ ,गाड़ी में बैठकर चली गयी ,हमने बिजेंद्र से उसे रोकने के लिए कहा भी किन्तु उसने एक न सुनी। बिजेंद्र भी उसकी हरकतों से परेशान तो था ही ,हमारे कहने पर एक -दो बार रुकने के लिए कहा भी किन्तु उसके जाने से पहले ही वो बाहर निकल गया। शायद वो जानता था कि हम बार -बार बहु को रोकने के लिए ,उस पर दबाव बनाएंगे। या फिर अपना ग़म लेकर किसी एकांत में चला गया था।
आगे बिजेंद्र की ज़िंदगी में, क्या भूचाल आया, उसकी पत्नी अपने मायके गयी या उसके पिता उसे वहीं छोड़कर चले गये। बिजेंद्र तो पहले ही बाहर निकल चुका था। घर आने पर उसने क्या देखा जानने के लिए पढ़ते रहिये - ऐसी भी ज़िंदगी