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राज की खुशी - भाग - 2

24 दिसम्बर 2021

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राजीव को अपनी और इस तरह देखता हुआ देखकर वृंदा इधर-उधर देखने लगी तो राजीव को भी अपनी भूल का एहसास हुआ। अपनी नजरे वृंदा के चेहरे से हटाते हुए राजीव बोले ठीक है अगर नाम नहीं ले सकते तो कम से कम मुझे दोस्त कह कर तो बुला सकते हो मैं तुम्हें दोस्त कहूंगा और तुम भी मुझे दोस्त कहना ओ. के. डन कहकर राजीव नेअपना अंगूठा दिखाया तो राज ने भीअपना छोटा सा अंगूठा दिखा दिया दुकानदार भी इन दोनों की बातें सुन रहा था।

तभी  वृंदा ने धीरे से राज को आवाज दी राज देर हो रही है घर नहीं चलना है क्या? फिर तुम्हें सायकल भी तो पसंद करना है राज दौड़ता हुआ आया और बोला ममा मेरे दोस्त ने मेरे लिए साइकिल पहले ही पसंद कर ली है मुझे वो रेड वाली साइकिल लेना है। जब तक वृंदा सायकल की कीमत पूछ पाती तब तक राजीव ने सायकल निकलवा कर राज को वापस बुलाया, राज उसके पास वापस पहुंचा तौ राजीव ने कहा,
   दोस्त तुम्हें साइकिल चलाना आता है ना तुम एक बार इस पर बैठ कर दिखाओ कि मेरा दोस्त इस सायकल पे बैठकर कैसा लगता है? राज झट साइकिल की सीट पर बैठ गया उसे देखकर राजीव ने कहा दोस्त तुम सचमुच राजकुमार लग रहे हो तुम्हारे बैठने से तो साइकिल की शान और भी बढ़ गई।
इधर वृंदा पशोपेश में पड़ गई थी कि पता नही सायकल कितने की है मेरे बजट के अंदर आएगी भी या नहीं मुझे एक बार दुकानदार से पूछना चाहिए यह सोचते हुए। वृंदा काउंटर पर जा पहुंची वृंदा ने पूछा सर इस साइकिल की क्या प्राइस है? गोलमोल सा जवाब दिया दुकानदार ने अरे मैडम आप प्राईज की चिन्ता छोड़ दे जब राजीव जी की बात है तो प्राइस तो रीजनेबल ही लगेगा वृंदा कहना चाहती थी कि साइकल राजीव जी को नहीं मुझे खरीदनी है, लेकिन पता नहीं क्यों वह कुछ बोल नहीं पाई वृंदा ने कहा ठीक है?बिल बना दीजिए दुकानदार ने1680 रुपए की रसीद बनाई।वृंदा ने चैन की सांस ली क्योंकि उसका बजट 15 सो रुपए तक ही था। चलो दो सौ और सही यही सोचकर उसने पेमेंट कर दिया।

दुकान से बाहर आकर वृंदा ने राज को पुकारा राज अपनी सायकल लेकर चलने लगा तो राजीव ने कहा ठीक है दोस्त मुझे भूलना नहीं राज हां के ईशारे में सिर हिलाते हुये दुकान से बाहर निकलकर वृंदा के करीब पहुंचा उसके चेहरे से खुशी झलक रही थी जिसे देखकर वृंदा को बहुत अच्छा लगा। वृंदा आटो लेकर घर वापस लौट आती है शाम होने को आ गई उसे घर के काम भी निपटाना है बृंदा आज थकी होने के बाद भी खुद को काफी फ्रेश महसूस कर रही है।

राज साइकिल पाकर बेहद खुश है। बाहर चक्कर पर चक्कर लगा रहा है। वृंदा रह रहकर दरवाजे के बाहर झांक कर उसे हिदायत देती ज्यादा दूर नहीं जाना राज दिन डूब रहा है अब अंदर आ जाओ बाकी की कल चला लेना पर राज को तो जैसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था उसे  तो साइकल दौड़ाने की धुन सवार थी। वृंदा किचन के काम निपटाने के साथ साथ राज पर भी नजर बनाए हुए थी इस बार वृंदा दरवाजे तक आई और राज को पुकारने की  सोच ही रही थी कि उसे लगा कि राज तो कहीं दिखाई नहीं दे रहा है वृंदा घबरा सी गई क्योंकि शाम भी गहरा गई थी ऐसी चूक वृंदा से पहली बार हुई थी। वृंदा के मन में अच्छे बुरे विचारों का तांता लग गया।

वृंदा को लगा था कि आज का दिन कितना अच्छा है।  राज के लिए भी और मेरे लिए भी। दोनों कितने खुश थे दोनों की मुरादें पूरी हुई है। शायद  इसी खुशी में उसने राज को इतनी छूट दे दी जिसका नतीजा सामने आया है लेकिन मैं कितना गलत सोच रही थी आज का दिन जितना अच्छा है उतना बुरा भी हो सकता है मैं यह क्यों नहीं सोच पाई लगभग रोआंसी सी वृंदा सोच रही है क्या करूं? कहां जाऊं? किस से मदद मांगू और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे?

वृंदा राज को ढूंढने के लिए जैसे ही घर से बाहर निकली तो देखती है कि राज घर की तरफ चला आ रहा है। उसे देखकर वृंदा की जान में जान आई।  अब तक वृंदा डर और फिक्र गुस्से में बदल चुका था। राज को वृंदा साइकिल सहित लगभग घसीटते हुए घर के भीतर ले आई।और फिर बोली आज तुम्हें छूट देने का मतलब यह तो नहीं कि मनमानी करते रहो तुम्हें पता भी है कि मुझ पर क्या गुजर रही है मेरी तो जान ही निकल गई थी वृंदा। एक सांस में सब कहते चली गई पर नन्हे राज को कुछ समझ आया और कुछ समझ नहीं भी आया। पर वो अच्छी तरह से जान गया था कि उससे गलती हुई है और मम्मा आज उससे नाराज है। मुझे माफ कर दो ममा राज की बात सुनकर वृंदा को लगा वह कुछ ज्यादा ही बोल गई है उसने राज को गले से लगा लिया और बोली राज मेरा तेरे सिवा कोई अपना नहीं है। मुझे हर समय तेरी फिक्र लगी रहती है। और ये बात तुम्हें भी समझ में आनी चाहिए। राज ने हल्के से सिर हिला दिया। वृंदा ने उससे पूछा लेकिन यह तो बताओ कि तुम चले कहां गए थे?
राज वृंदा के चेहरे की तरफ देख कर बोला आप मुझे डांटेगी तो नहीं। मैंने कहा नाअगर तुम सच बोलोगे तो भला मैं तुम्हें क्यों डांटूगी? वृंदा बोली।
मुझे मेरे दोस्त है ना वही जो सामने रहते हैं जो अपने को साइकिल की दुकान पर मिले थे और मुझे दोस्त बनाया था।
राजीव जी वृंदा ने पूछा? हां शायद ऐसा ही कुछ नाम तो बताया था मेरे दोस्त ने राज ने कहा वृंदा का गुस्सा काफूर हो चुका था अब वृंदा को राज की बातों में इंटरेस्ट आने लगा उसने कहा तो तुम्हारे दोस्त मिल गए थे। हां मम्मा मैं साइकिल चला रहा था तो वह कहीं से आ रहे थे उन्होंने मुझे देख लिया था आवाज देकर बुलाया इसलिए मैं उनके पास चला गया अच्छा तो फिर क्या हुआ वृंदा ने पूछा? मुझे आप डांटेगी तो नही राज बोला।
वृदा बोली मैने पहले  ही कहा ना कि अगर तुम सब सच बोलोगे तो नहीं डांटुगी यदि तुमने मुझे पूरी बात नहीं बताई तो मैं जरूर नाराज हो जाऊंगी तुमसे।

दरअसल अब वृंदा जानना चाहती थी। कि राजीव ने राज से क्या-क्या बातें की? क्या उसने मेरे बारे मे भी कुछ पूछा होगा? उसके उतावलेपन की आतुरता बढ़ती ही जा रही थी वृंदा ने राज को पुचकारते हुए कहा डरो नहीं बेटा मैं तुम्हें कुछ भी नहीं कहूंगी बस मुझसे कुछ छुपाना नहीं सच सच बताना।

राज ने बताना शुरू किया कि ममा मैंने तो पहले मना किया था कहा कि मैं नहीं जाऊंगा। मेरी ममा गुस्सा होगी पर वह नहीं माने वृंदा राज को बीच में ही टोंकते  हुए बोली की ये तुम कहां जाने की बात कर रहे हो राज साफ-साफ बताओ मुझे, राज ने मुंह लटका कर जवाब दिया वह मुझे अपने साथ अपने घर ले गये थे उन्होंने मुझे बिस्कुट खाने कहां पर मैंने कुछ भी नहीं खाया आप की कसम मैंने आपको सब सच सच बता दिया? मुझसे अब गुस्सा तो नहीं हो ना ममा, बेटा मैं गुस्सा नहीं हूं लेकिन आज के बाद मुझे बिना बताए कभी भी और कहीं भी नहीं जाना ठीक है राज ने कहा ठीक है ममा ।

चलो अब जल्दी से हाथ मुंह धो लो खाना तैयार है। खाने का टाइम भी हो गया है मैं खाना निकाल रही हूं। फिर हम खाना खाएंगे। खाना खाते समय भी वृंदा राज से सवाल पूछती रही। बताओ तुम्हारे दोस्त ने क्या कहा? अपने बारे में क्या क्या बताया? उन्होंने बहुत सी बातें की पर मुझे याद नहीं आ रहा है ममा राज बोला वह वृंदा दा के सवाल-जवाब से ऊब गया था और शायद सायकल चला चला कर थक भी गया था उसे नींद आ रही थी उसने कहा मम्मा मुझे नींद आ रही है वृंदा ने देखा उसकी  पलकें नींद से बोझिल हो रही है उसने बिस्तर ठीक करके राज को सुलाया फिर खुद भी लेट गई मगर आज उसे नींद नहीं आ रही थी वृंदा के मन में अभी भी कुछ सवाल है जो राज से अभी पूछना बाकी है कल राज से इन सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करूंगी यह सोचकर वृंदा ने भी आंखें बंद कर ली?
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क्रमशः........ +..........?
अगले भाग में पढिये
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लेखिका - ममता-यादव (प्रान्जलि काव्य)
स्वरचित व मौलिक उपन्यास
सर्वाधिकार सुरक्षित
भोपाल मध्यप्रदेश
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रचनाएँ
कैसी ये जिन्दगी
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इस उपन्यास में - 25 भाग है यह उपन्यास एक स्त्री के जीवन संघर्ष पर आधारित है। लेखिका - ममता-यादव (प्रान्जलि काव्य) पूर्णतः मौलिक व स्वरचित तथा सर्वाधिकार सुरक्षित रचना
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भाग-3- सपनों की उड़ान

30 दिसम्बर 2021
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भाग-4 - अतीत की स्मृतियों का दर्द

2 जनवरी 2022
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बिंदा प्रतिदिन। सभी के लिए मनोयोग से खाना पकाती है। सास ननंद को अपने हाथों से परोस कर खिलाती। और दोनों चुपचाप खा भी लेती। वृंदा पति के लंच टाइम का रास्ता देखती है। सुनील का ऑफिस घर के पास ही था। इसलिए

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कैसी सी ये जिन्दगी - भाग-5

21 जनवरी 2022
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अतीत की यादों ने आज वृंदा को झकझोर कर रख दिया था। वह भी ऐसा की वर्तमान की हवाई कल्पना में भी एक ठहराव सा आ गया है। सोचने लगे विंदा मैं जिस तरह से राजीव जी के आकर्षण में बनती जा रही हूं क्या यह सही है?

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कैसी ये जिन्दगी भाग - 6

21 जनवरी 2022
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वृंदा अपने मन की उथल-पुथल को काबू में रखकर खुद को सहज बनाये रखने की पूरी कोशिश कर रही थी। तभी राजीव ने पूछा आपका नाम वृंदा है न, वृंदा भौंचक्की सी रह गई क्योंकि राजीवके आगे कभी उसके नाम का जिक्र हुआ ह

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कैसी ये जिन्दगी भाग - 7

22 जनवरी 2022
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राजीव के जाने के बाद वृंदा आश्चर्य के भंवर से निकल ही नहीं पा रही थी। उसकी आंखों के सामने बार-बार रीता का चेहरा आ जाता राजीव और अपनी मुलाकात रीता मुझसे छुपाना क्यों चाहती है रीता के मन में राजीव को ले

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कैसी ये जिन्दगी - भाग - 8

23 जनवरी 2022
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आज शनिवार है। वृंदा ने अपने मायके जाने के लिए कल ही स्कूल से 2 दिन की छुट्टी ले ली है रविवार मिलाकर उसके पास 3 दिन का समय हो गया अब सब ठीक रहा तो 3 दिन बिताकर वापस आएगी नहीं तो वापस आकर घर में ही छुट्

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भाग-9

4 फरवरी 2022
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वृंदा आजकल बहुत खुश रहने लगी है और राज भी, पर दोनों के खुशी की वजह अलग-अलग है राज के पास नाना नानी के घर की यादें हैं तो वृंदा की उमंग दिल में उठने वाली नई तरंग है। आजकल वृंदा खुद पर ध्यान भी देने लगी

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भाग-10

5 फरवरी 2022
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वृंदा जो अब तक खामोशी से राजीव की बातें सुन रही थी बोली राजीव जी आपकी पूरी बात में सुनना चाहती हूं मगर खाने का समय हो रहा है आज आप हमारे साथ ही खाना खाइए मैं अपना काम करते हुए आपकी बातें भी साथ-साथ सु

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भाग-11

7 फरवरी 2022
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वृंदा सुबह उठकर अपने दैनिक कार्यों को निपटा कर तैयार होकर राज को अपने साथ लेकर स्कूल के लिए निकल पड़ी। आज हल्के नीले रंग की साड़ी और बालों में जुड़े के साथ चेहरे पर हल्के से मेकअप में गजब की खूबसूरत ल

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भाग-12

12 फरवरी 2022
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वृंदा। नजरें झुकाए हुए थरथराते कदमों से उन सबके सामने आकर खड़ी हुई और बोली मैं जानती हूं आप सब को मेरा इस मोहल्ले में रहना पसंद नहीं है मैं आप सभी से वादा करती हूं कि बहुत जल्दी ही मैं मकान की तलाश कर

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भाग - 13

12 फरवरी 2022
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वृंदा और राजीव के अरमानों को तो जैसे पंख लग गए थे राजीव अब हर रोज रात का खाना वृंदा के घर पर ही खाया करते धीरे-धीरे वृंदा राजीव के खाने की पसंद और नापसंद से अच्छी तरह से वाकिफ हो गई थी राजीव भी वृंदा

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भाग-14

13 फरवरी 2022
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सब के सो जाने के बाद वृंदा भी अपने बिस्तर में लेट गई मगर उसकी आंखों की नींद उड़ गई थी उसके मन में भविष्य के सपने चल रहे थे बड़ी मुश्किल से वृंदा को नींद आई बाबूजी के उठने के साथ ही वृंदा भी उठ गई उसे

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भाग-15

13 फरवरी 2022
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वृंदा के। वृंदा के दरवाजे पर पहुंचकर राजीव ने आवाज लगाया, राज दरवाजा खोलो राजीव की आवाज़ सुनकर राज ने दौड़ कर दरवाजा खोला दरवाजा खुलते ही सभी अंदर दाखिल हुए। वृंदा ने रागिनी और उसके पति को दोनों हांथ

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भाग-16

14 फरवरी 2022
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राजीव के कहने पर आज वृंदा ने अपने स्कूल से छुट्टी ले ली है। साथ ही स्कूल नही जाने से राज को भी खेलने का मौका मिल गया है। वृंदा ने उसे सुबह जल्दी उठाया भी नही चाय नाश्ता तैयार करने के बाद ही उसे उठाया

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भाग-17

14 फरवरी 2022
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राजीव - राज अब आप हमें पापा जी कह कर बुलाएंगे तो हमें अच्छा लगेगा।राज - अच्छा दोस्त मैं आपको अब पापाजी बोलूंगा।राजीव - शाबाश मेरा राजा बेटा चलो अब इसी खुशी में आपको अपने हाथों से हलव

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भाग-18

15 फरवरी 2022
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वृंदा के बाबूजी कहने लगे बिन्नोतेरा भाग्य बहुत अच्छा है मगर एक बात की फिक्र मुझे हो रही है वह लोग पैसे वाले हैं और हम गरीब लोग हैं आगे चलकर फिर तुझे कोई परेशानी ना उठानी पड़े वृंदा की मां बोली भले ही

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भाग-19

16 फरवरी 2022
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अधजगी वृंदा की अगली सुबह आ चुकी थी अभी कुछ ही देर में उसका बहुत कुछ बदल जल जाने वाला है उसके अनिश्चित भविष्य का लक्ष्य निर्धारित हो जाएगा लेकिन एक ही चिंता वृंदा को अभी भी परेशान कर रही है इतने दिन मे

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भाग-20

19 फरवरी 2022
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अगली सुबह राजीव के घर का वातावरण ना चाहते हुए भी कुछ बोझिल सा लग रहा है। राजीव ने वृंदा से कहा चलो मै तुम्हें तुम्हारा किचन दिखा दू कहकर वृंदा के साथ किचन में आकर समझाने लगे कौन सा सामान कहां रखा और फ

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भाग-21

26 फरवरी 2022
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वृंदा रोते हुए सोच रही थी क्या कोई आदमी भी इतना नरम दिल हो सकता है कि बच्चे की तरह फूट-फूटकर रो पड़े तभी वृंदा के फोन की घंटी बजी वृंदा ने देखा तो रागिनी का फोन था वृंदा ने फोन रिसीव कर कहा हेलो दीदी?

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भाग- 22

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वृंदा राज को साथ लिए हुऐ अपनी साथी टीचर्स के साथ बातचीत करती हुई स्कूल गेट से बाहर निकल रही थी, तभी राज चिल्लाते हुए दौड़ पड़ा पापाजी वृंदा और उसकी सहेलियाँ भी उस तरफ देखने लगी जिधर राज दौड़ कर गया था

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भाग-23

26 फरवरी 2022
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गांव से लौटकर वृंदा के बाबूजी घर खरीद कर अपनी पत्नी के साथ रहने लगे अब राज का ज्यादा समय अपने नाना नानी के साथ ही बीतने लगा मिस्टर सिन्हा भी अक्सर शाम का समय वृंदा के बाबूजी के साथ ही व्यतीत करत

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भाग-24

26 फरवरी 2022
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राजीव और वृंदा खुश थे कि बाबूजी की तरकीब काम कर गई और पापा जी को कोई संदेश भी नहीं हुआ गार्गी अनाथ आश्रम से घर आ गई यह एक सफलता थी लेकिन अभी संभल कर ही कदम रखने में भलाई है वृंदा और राजीव के मन का सबस

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भाग-25 उपन्यास का समापन भाग

27 फरवरी 2022
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गार्गी को दरवाजे के बाहर खड़ा देखकर मिस्टर सिन्हा ने समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन गार्गी रुकने के लिए तैयार ही नहीं थी हार कर मि, सिन्हा ने वृंदा के बाबू जी से कहा समधी जी यह तो मान ही नहीं रही है इस

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