बाज़.....
शायद ही कोई होगा जो इस पक्षी के बारे में नहीं जानता होगा...। शिकार करने में निपुण.... तेज़ और रफ्तार... से उड़ान...ऊंची उड़ान भरने में माहिर..।
जब बाज़ अपने जोश में होता हैं तो वो बादलों के ऊपर तक उड़ान भर सकता हैं..। बाज़ की काबिलियत हर कोई जानता होगा..।
लेकिन बाज़ के जीवनी शायद बहुत कम लोग जानते होंगे..।
बाज़ की उम्र लगभग 70 साल होतीं हैं...। चालीस साल तक तो बाज़ बेहतरीन तरीके से अपना जीवन जीता हैं..। लेकिन चालीस के बाद एक वक्त ऐसा आता हैं.. जब बाज़ के पंख बहुत भारी हो जाते हैं.... जिसकी वजह से वो ऊंची उड़ान नहीं भर पाता हैं..। उसकी चोंच भी मुड़ने लगतीं हैं... जिसकी वजह से वो अपना शिकार ठीक से पकड़ भी नहीं सकता हैं... उसके पंजों के नाखून भी मुड़ जाते हैं... जिसकी वजह से वो ठीक से शिकार कर भी नहीं पाता..। ऐसे हालातों में उसके पास दो विकल्प रह जाते हैं...।
पहला:- या तो वो ऐसे ही अपने मरने का इंतजार करता रहें..। पल पल ऐसे ही तड़पता रहें..।
दूसरा:- अपनी खराब हो चुकी चोंच, नाखून और पंखों को तोड़ कर.... नए रुप आने का इंतजार करें..।
बाज़ हमेशा दूसरा विकल्प चुनता हैं...। वो अपनी चोंच को लगातार कई दिनों तक पेड़ों पर मारता रहता हैं... जिससे वो टूट जाए...। फिर नई चोंच आने पर वो अपने पंजों के नाखून को तोड़ता हैं... और अपनी ही चोंच से अपने पंखों को चोट पहुंचाता हैं...। छ: महिनों तक कठिन और दर्दनाक पीड़ा झेलने के बाद बाज़ के पास नई चोंच के साथ.... नए पंख और नाखून भी आ जाते हैं...। जिससे वो अगले आने वाले तीस साल फिर से बेहतरीन तरीके से जी सकता हैं..।
बाज़ के जीवन से हमें ये सीख मिलती हैं की अगर बेहतर बनना हैं तो दर्द और तकलीफ भी बर्दाश्त करनी पड़ेगी..। थोड़ी सी मुश्किलों और परेशानीयों से घबरा कर हिम्मत नहीं हारनी चाहिए..। अपनी काबिलियत और मेहनत पर हमेशा विश्वास करना चाहिए..। राहें मुश्किल जरूर होंगी... लेकिन मंजिल उन्हीं को मिलतीं हैं जो हौसला रखता हैं..।