अजमेर शऱीफ में रखे दो बड़े-बड़े कढ़ाहे (देग):
अजमेर शरीफ की प्रसिद्ध दरगाह के अंदर दो काफी बड़े-बड़े कढ़ाहे रखे गए हैं,चितौड़गढ़ से युद्ध जीतने के बाद मुगल सम्राट अकबर ने इसे बड़े कढ़ाहे को ददान किया था, जबकि जहांगीर द्धारा छोटा कढाहा भेंट किया गया था।
बड़े कढ़ाहे में एक बार में करीब 31.8 किलो चावल पक सकते हैं, जबकि छोटे कढ़ाहे में 12.7 किलो चावल पकाए जा सकते हैं। कढ़ाहे में रात में खाना बनाया जाता है, और रोज सुबह प्रसाद के रुप में यहां आने वाले भक्तों को बांटा जाता है।
महफिलखाना या फिर शामखाना:
अजमेर शरीफ के हॉल महफि़ल-ए-समां या महफिलखाना में सूफी गायकों के द्धारा रोजाना नमाज के बाद बेहद खूबसूरत दिल छू लेने वाली कव्वाली गाईं जाती हैं, जिसका यहां आने वाले भक्त लुफ्त उठा सकते हैं। इसके अलावा ख्वाजा गरीब नवाज की इस दरगाह में सनडली मस्जिद, ऑलिया मस्जिद, बाबाफिरिद का चिली, बीबी हाफिज जमाल की मजार समेत अन्य स्मारक भी बने हुए हैं।
इसके साथ ही इस दरगाह के अंदर एक बेहद शानदार नक्काशी किया हुआ चांदी का कटघरा है, जिसके अंदर ख्वाजा मुईउद्दीन चिश्ती की भव्य मजार बनी हुई है। इस चांदी के कटघरा का निर्माण जयपुर के महाराजा राजा जयसिंह ने करवाया था।
दरगाह के अंदर बना जहालरा ख्वाजा गरीब नवाज के समय से हैं, जो कि पहले पानी का प्रमुख स्त्रोत होता था। वहीं वर्तमान में इसका इस्तेमाल दरगार के पवित्र कामों के लिए किया जाता है।