बुलंद दरवाजा –
बुलंद दरवाजा, अजमेर शरीफ की दरगाह में बने प्रमुख चारों दरवाजों में से एक है, यह एक भव्य और विशाल गेट है । जिसका निर्माण महमूद खिलजी और उनके उत्तराधिकारियों द्वारा करवाया गया है।
उर्स महोत्सव की शुरुआत से पहले इस भव्य गेट के ऊपर ध्वज फहराया जाता है। यह दरवाजा, अजमेर शरीफ के सभी दरवाजों में सबसे ऊंचा है, इसलिए इसे बुलंद दरवाजा कहा जाता है।
चार यार की मजार –
अजमेर शरीफ की दरगाह में जामा मस्जिद के पास एक काफी बड़ा कब्रिस्तान बना हुआ है, जहाम कई बड़े-बड़े सूफियों, फकीरों, आलिमों और फाजिलों की कब्र बनी हुई हैं।
वहीं इस कब्रिस्तान में उन चार संतों की भी कब्रे बनी हुई हैं, जो कि ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के साथ भारत यात्रा पर आए थे, इसलिए इसे चार यार की मजार भी कहते हैं। यहां हर साल भव्य मेला लगता है, जिसे देखने दूर-दूर से सैलानी आते हैं।
अकबरी मस्जिद –
अकबरी मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट अकबर ने उस वक्त करवाया था, जब जहांगीर के रुप में उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी।
दरअसल,मुगल सम्राट अकबरने ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर पुत्र रत्न की दुआ मांगी थी, वहीं जहांगीर के जन्म के बाद वे आगरा से करीब 437 किमी. दूर पैदल चलकर नंगे पैर इस दरगाह पर आए थे और जियारत पेश की थी एवं उसी वक्त अकबर ने इस मस्जिद के निर्माण का आदेश दिया था।
आज के समय इस मस्जिद में इस्लाम समुदाय के बच्चों को कुरान की तामिल दी जाती है।
सेहन का चिराग –
अजमेर शरीफ की दरगाह के इस सबसे ऊंचे बुलंद दरवाजे के थोड़ा सा आगे बढऩे पर सामने की तरफ एक एक गुम्बद की तरह सुंदर सी छतरी है। इसमें एक काफी पुराने प्रकार का पीतल का चिराग रखा है। इसको सेहन का चिराग कहते हैं।