अजमेर शरीफ की दरगाह का निर्माण एवं बनावट –
इतिहासकारों की माने तो सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी ने करीब 1465 में अजमेर शरीफ की दरगाह का निर्माण करवाया था। वहीं बाद में मुगल सम्राट हुंमायूं, अकबर, शाहजहां और जहांगीर ने इस दरगाह का जमकर विकास करवाया। इसके साथ ही यहां कई संरचनाओं एवं मस्जिद का निर्माण भी किया गया।
इस दरगाह में प्रवेश के लिए चारों तरफ से बेहद भव्य एवं आर्कषक दरवाजे बनाए गए हैं जिसमें निजाम गेट, जन्नती दरवाजा, नक्कारखाना (शाहजहानी गेट), बुलंद दरावजा शामिल हैं। इसके अलावा ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के अंदर बेहद सुंदर शाह जहानी मस्जिद भी बनी हुई है।
यह मस्जिद मुगलकालीन वास्तुकला की एक नायाब नमूना मानी जातीहै। इस आर्कषक मस्जिद की इमारत में अल्लाह के करीब 99 पवित्र नामों के 33 खूबसूरत छंद लिखे गए हैं। इसके अलावा यहां शफाखाना, अकबरी मस्जिद भी हैं, इस मस्जिद में वर्तमान में मुस्लिम समुदाय के बच्चों को इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रंथ कुरान की शिक्षा भी दी जाती है।
अजमेर शरीफ दरगाह की प्रमुख दर्शनीय स्मारक –
निजाम गेट –
यह अजमेर शरीफ की दरगाह में बने चारों प्रमुख दरवाजों में से सबसे ज्यादा खूबसूत और आर्कषक दरवाजा है, जो कि मुख्य बाजार की तरफ है।
इस भव्य दरवाजे का निर्माण हैदराबाद डेक्कन के मीर उस्मान अली खां द्वारा करवाया गया था। इस विशाल गेट की चौड़ाई करीब 24 फीट एवं ऊंचाई 70 फीट है।
दरवाजा नक्कारखाना –
ख्वाजा साहब की दरगाह में बने चार प्रमुख दरवाजों में नक्कारखाना भी आता है, जिसका निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां ने 1047 ईसवी में करवाया था।
यह प्रचीनतम वास्तुकला का इस्तेमाल कर बनाया गया है। इस भव्य गेट के ऊपर शाही जमाने का नक्कारखाना बना हुआ है। यह दरवाजा नक्करखाना शाहजहांनी के नाम से भी प्रसिद्ध है।
जन्नती दरवाजा –
अजमेर शरीफ की दरगाह में पश्चिम की तरफ एक बेहद खूबसूरत चांदी की पॉलिश किया हुआ भव्य दरवाजा है, जो कि जन्नती दरवाजा के नाम से प्रसिद्ध है।
दरगाह के इस दरवाजे को साल में सिर्फ 4 बार भी विशेष मौकों पर खोला जाता है। आपको बता दें कि जन्नती दरवाजा, ख्वाजा शवाब की पीर के उर्स पर, वार्षिक उर्स के वक्त एवं दो बार ईद पर खोला जाता है।