रोजगार अगर अपने गांव-शहर में ही मिल जाए तो भला कौन परदेश जाना चाहता है। और जब बात गांव के सामान्य तबके की हो तो उसके लिए यह किसी मजबूरी से कम नहीं होता है। दो उदाहरण देता हूं। पहला, याद कीजिए वह दौर जब रोजी-रोटी की तलाश में पलायन कर उत्तरप्रदेश से बड़ी तादाद में लोग महाराष्ट्र और दिल्ली की ओर जाते थे
बुलंदशहर में गैंगरेप हुआ. मां-बेटी को नेशनल हाईवे से उठाकर गैंगरेप हुआ. पहले पुलिस वाले सोते रहे. 100 नंबर पर 20 मिनट तक किसी ने फोन नहीं उठाया. बाद में जैसे-तैसे एक्शन लिया गया. कुछ आरोपी पकड़े गए. कुछ पुलिसवाले सस्पेंड कर दिए गए. फिर आया नंबर नेताओं के बयानों का.अब चूंकि सपा सरकार में लीचड़ बयान ग