Poet
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आवारा झोंके सा जिस्म तेरा छू कर निकल जाऊं वो बहती हवा नहीं हूं मैंतेरे रूह में कैद रहना चाहता हूं है,पर शायद तेरी मांगी मुकम्मल दुआ नहीं हूं मैंनहीं चाहती मेरे संग दर्द बांटना,शायद तेरे लिए नहीं रहा त