जिंदगी की कई कहानियाँ याद सी रह गईं जिनके क़दमों की आहट जान लेते थेवो जो था वो कभी मिलेगा ही नहींअब तुम भी साथ छोड़कर चले गये मैराडोनातू न होगा तो बहुत याद करूँगा तुझ कोअलविदा मैराडोना,अलविदा-अश्विनी कुमार मिश्रा
सोचा था जिंदगी चलेगी रफ्तार से,जैसे मक्खन पिघलता है गर्म रोटी पे; वक़्त के साथ साथ मायने बदलते गए,जिंदगी फूलों को देख चल दी कांटों पे।हर सिक्के