मैं शायर नही फिर भी थोड़ा बहुत लिख लेता हूँ । आप लोगो का मार्गदर्शन चाहता हूँ ताकि भविष्य में और अच्छा लिख सकु ।
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कायर नही हूँ मैंक्यो मानु मैं अपनी हारदुनिया न जीत पाऊतो हारु न खुद सेजो जीत ना पाया मैंतो क्या मैं मर जाऊइतना कमजोर नही मैंकायर नही जो मर जाऊ मैं......
कहानी ही तो थीख़त्म तो होनी ही थीशुरू हुए थे जो अल्फ़ाज़उन्हें विराम तो लगना थ-अश्विनी कुमार मिश्रा
बिछड़ना ही है तो झगड़ा क्यूँ करें हम ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं.......
एक क़तरा हूँ मैं तन्हा तो बह नहीं सकताएक क़तरा हूँ मैं समुंदर से ख़फ़ा हो नहीं सकता
तुझे गँवा के कई बार ये ख़याल आयाये किस मक़ाम पे लाई है मेरी तन्हाईतमाम उम्र बड़े सख़्त इम्तिहान में था 'अश्विनी'मैं आप अपनी तबाही का ज़िम्मेदार रहा
तू न होगा तो बहुत याद करूँगा तुझ कोमुझसे ये बहाना बनाना भी तो नहीं आयामैं कहूँ किस तरह ये बात तुझसेआज मैं इस से भी मुकर आया-अश्विनी कुमार मिश्रा
जो हालतों का दौर था वो तो गुज़र गयाजो ज़िंदगी बची है उसे मत गंवाइये मैं भी तो बहुत बदल गया हूँबेहतर ये है कि आप मुझे भूल जाइए-अश्विनी कुमार मिश्रा
आख़िरी बात तुम से कहना है अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलेंगेजाते जाते आप इतना काम तो कीजिये मेराजाइए तो फिर मुझे सच-मुच भुलाते जाइएक्योंकि यादों का हिसाब रख रहा हूँ मैंरह गई उम्मीद तो बरबाद हो जाऊँगा मैं......-अश्विनी कुमार मिश्रा
जिंदगी की कई कहानियाँ याद सी रह गईं जिनके क़दमों की आहट जान लेते थेवो जो था वो कभी मिलेगा ही नहींअब तुम भी साथ छोड़कर चले गये मैराडोनातू न होगा तो बहुत याद करूँगा तुझ कोअलविदा मैराडोना,अलविदा-अश्विनी कुमार मिश्रा
सुन मेरी शहजादी मेरी जान है तूक्या कहूँ मैं तेरे लियेतू मेरे लिये क्या हैतुझसे शुरू होती खुशी मेरीतो ग़म तेरे साथ होने से फना हो जातेज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम तुझसे मिलकर ही ये जाना हैतेरी मेरी दोस्ती पर बहुत नाज़ है मुझेतू दूर जरूर जा रही मुझसेपर इससे दोस्ती का प्यारकभी कम नही होगासुन मेरी शहजादी
लाइफ मौके बार बार नही देती, अगर अगर बार बार मौके मिल रहे,तो इसे तुम अपनी खुशकिस्मती समझो,क्योकि हालात कभी भी बदल सकते है...-अश्विनी कुमार मिश्रा
बुरी याद बन कर हम किसी को सताते है....चलो अच्छा है इसी के बहानेतो हम उन्हें याद आते हैं....-अश्विनी कुमार मिश्रा
वो हम से ख़फ़ा हैं हम उन से ख़फ़ा हैंमगर उन से बात करने को जी चाहता हैरोज़ मिलते हैं उन से मगर बात नहीं होती हैभला हम क्या हमारी ज़िंदगी क्यान जाने हम में है अपनी कमी क्याबस तय ये हुआ कि मैं बुरा हूँइस से आगे तो इन से कोई बात नहीं होती है....-अश्विनी कुमार मिश्रा
ख़ाली ही सही मेरी तरफ़ जाम तो आयाआप आ न सके आप का पैग़ाम तो आया-अश्विनी कुमार मिश्रा
तौबा करता हूँ कल से पियूँगा नहींमय-कशी के सहारे जियूँगा नहीं मेरी तौबा से पहले मगरसाक़िया सिर्फ़ दे एक जाम आख़िरी.....-अश्विनी कुमार मिश्रा
छेड़ो न मुझे मैं कोई दीवाना नहीं हूँजो भर के छलक जाए वो पैमाना नहीं हूँकाँटों से गुज़र जाता हूँ दामन को बचा करफूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँमैं ख़ुद ये समझता हूँ कि "अश्विनी" दीवाना नहीं...-अश्विनी कुमार मिश्रा
यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती हैआज कुछ बात हैमगर आह ये भी डर है ये सहर (सुबह) भी "अश्विनी" रफ़्ता रफ़्ताकहीं शाम तक न पहुँचे.......
तू न होगा तो बहुत याद करूँगा तुझ कोअब याद न आओ रहने दोकाश तुम उस की हक़ीक़त पे नज़र डाल सकोलम्हों को भुलाना खेल नहीं "अश्विनी"मैं ख़ुद भी उन्हें याद आऊँगा......
क्या क्या न उसनेहम को खोटी-खरी सुनाईशिकवा किया जो हमनेगाली का आज उससेशिकवे के साथ उसनेइक और भी सुनाई....-अश्विनी कुमार मिश्रा
मेरे पास आ कर कभीमेरी कहानी भी सुनो,मैं भी दिल के बहलाने कोक्या क्या स्वाँग रचाता हूँ,आप ही दुख का भेस बदलकरउन को ढूँडने जाता हूँ,सायों के झुरमुट में बैठासुख की सेज सजाता हूँ......-अश्विनी कुमार मिश्रा
जब याद आते हैं वोतो अक्सर याद आते हैंतुझे तो अब 'अश्विनी' वोपहले से भी बढ़ कर याद आते हैं
मुझे ख़ामोश रहने दोएक दिन खो जाऊंगा मैंअगर ये सच हैतो फिर बताओ कि झूट क्या हैआज मैं "अश्विनी" गयातो लौट के फिर ना आऊंगा...
ये ख्याल बार बार आता हैबस एक लम्हा रुक करवो ख़्वाब जो मेरी ज़िंदगी थेउन्हें उठा लूँ.......-अश्विनी कुमार मिश्रा
उदास तुम भी हो यारोउदास हम भी हैंसमझ में कुछ नहीं आताकि माजरा क्या हैन जीत जीत तुम्हारीन हार हार मेरीन कोई साथ तुम्हारेन कोई साथ मेरेअगर तुम्हारी अहम ही का हैसवाल तो फिरचलो मैं हाथ बढ़ाता हूँदोस्ती के लिए.......-अश्विनी कुमार मिश्रा
एक इंसान के तौर पर मैंने सीखा कि आपको दूसरे इंसान के व्यवहार के हिसाब से खुद कीसोच को एडजस्ट करना पड़ता है।-अश्विनी कुमार मिश्रा
मैं जिंदा रहूंगा यारोंतुम भी जिंदा रहना यारोंतुमसे मिलना जो हैंसंकट का दौर है यारोंसंकट को तो टालना ही होगारुक गया है जो दौर मुलाकात काये दौर भी निकल जायेगा यारोंवो दौर जरूर शुरू होगा फिर यारोंसुनहरा कल फिर से आएगाजब हम तुम होंगे साथ यारोंमैं जिंदा रहूंगा तुम साथ रहना यारोंतुम भी साथ रहना यारों.....
डर बड़ी कमाल की चीज हैंडर का मुकाबला डट के कर लोतो वो डर डर के मैदान छोड़ देगा ।
किस बात की चिन्ता हैं तूझेमैं साथ हूँ तेरेकरता नही वादा जिंदगी भर दूंगा तेरा साथबल्कि जब तक तु साथ है मेरेतब तक की जिंदगी चाहिये मुझेकल जितना भरोसा था तुझे मुझपेआज भी रख उतना भरोसा मुझपेतेरी हर तकलीफ के पल मेंमैं रहूँगा साथ तेरेमैं साथ हूँ तेरे........-अश्विनी कुमार मिश्रा
अब कुछ नहीं कहूँगा मैं तुम्हेक्योंकि ये सारा खेल वक़्त का ही तो हैचाहे तुम सारी दुनिया को अपना बना लोलेकिन मेरी कमीफिर भी तुम्हे जरूर महसूस होगी -अश्विनी कुमार मिश्रा
जीवन मे कोई शाम आखिरी नही होती,सोच आखरी होती हैं ।अपने सपनों को जिंदा रखो,क्योंकि सूरज फिर निकलता है,फिर उजाला होता है ।सोच को रख मजबूत अपनीउगते सूरज की लालिमा सेसुनहरा कल भी निकलता है ।-अश्विनी कुमार मिश्रा
खफ़ा है वो हमसे इस तरह सेमिल के बिछड़ जाएँ कभी सोचा भी नहीं थाइतना तो बता जाओ बिछड़ने से पहलेमेरी खता क्या है जो तुम इतने खफ़ा हो-अश्विनी कुमार मिश्रा
खामोशी कह रही है कान मेंक्यों वीराना पड़ा है जहां मेंजिंदगी कह रही वक़्त हमारा बदलने वाला हैजो अंधेरा फैला है चारों तरफ़ उस पर उमीद का सूरज निकलने वाला हैहौसला भी बुलंद हैं इरादे भी मजबूतजिंदगी चाल नई फिर से चलने वाली हैखुशियां भी फिर आने वाली हैखुशियां आने वाली है.....-अश्विनी कुमार मिश्रा
हालात यूँ है कुछ मेरे शहर केकहर बरपा हुआ है चारो तरफलोग ख़ौफ़ के साए में जी रहे इन दिनोंदरवाज़े भी बंद हो गए हैं मंदिर मस्जिद केकिसी भी सम्त कोई रास्ता मिले तो सहीजो हमसे हुई गर ख़ता बख़्श दो अबऐ मेरे मालिक अपने बंदों को इस कहर से बचाइस कहर से बचा....-अश्विनी कुमार मिश्रा
अहंकार छोड़िएपता नही कबकिसके सामनेझुकना पड़ जाये-अश्विनी कुमार मिश्रा
शुक्रिया तेराजो तूने इस तरह मेरा साथ छोड़ाहर साँस का हर ख्वाब कातुझसे जुडी हर बात काहर अहसास कासब का शुक्रियाऐ 'अश्विनी' चल तेरा शुक्रिया
फिंजा में धीरे-धीरे घुल रहा हैनफरत का जहरअदृश्य दर्द के घावों की तरहनिशां जहन में रह जाते हैंकिसने लगाई हैंये नफरत की आगसब जानते हैं 'अश्विनी'कोई नहीं बोल रहा है-अश्विनी कुमार मिश्रा
एक अहसास हुँ मैं जिसे मिटा ना पाओगे तुमजा रहे हो तुम मुझे जो छोड़करलेकिन लौट के वापस जरूर आओगे-अश्विनी कुमार मिश्रा
ऐ मन बता देक्या ढूँढ रहा है तूऐ मन बता दे तूमन बोला ये ज़िंदा हूँ मैंकोई याद बचपन की दिला रहा हैरास्ते वो बता रहा हैमन का ये आँचल चाहता तो है खुले आसमान में उड़नाख़्याल कब से ये छुपा के रखा हैये ख़्वाहिश है मेरे मन कीउस को ढूँढ रहा हूँ-अश्विनी कुमार मिश्रा
तुम मेरे दोस्त होहाँ तुम हीमिल जाते हो किसी न किसी मोड़ परकर देते हो जीवन के सफ़र को आसानदुख देना तुम ने सीखा ही नहींहर दुख के पल में तुम्हे साथ पाया मैंनेबहुत कुछ सिखाया है तुमने मुझेऐसा ही होना चाहिए दोस्तों कोहाँ तुमतुम मेरे दोस्त-अश्विनी कुमार मिश्रा
मर्यादाजीवन निर्वाह के नियमों को संतुलन में रखने वाली निर्धारित सीमा रेखा को मर्यादा कहा जाता है । इन्सान को सर्वप्रथम अपनी मर्यादाएं समझना आवश्यक है । इन्सान की मर्यादा स्वभाव, व्यवहार एवं आचरण पर निर्भर करती है । आचरण की मर्यादा इन्सान के अपराधी होने से ही भंग नहीं होती अपितु झूट बोलने, बुराई का स
चलो फिर शुरू करते हैजो पन्ने बेरंग हो गयेउनको नया रंग देते हैटूट कर जो बिखरी है जिंदगीउसको फिर जोड़ते हैजो छूट गए है उन्हें भूलबाकि को साथ ले आगे बढ़ते हैइस जिंदगी में बहुत से रंग हैंहर रंग को फिर से जीते हैजब तक जिंदगी है तब तकइस जिंदगी को खुलकर जीते हैचलो फिर जिंदगी जीते हैचलो फिर शुरू करते है....-अ
पल पल दरकता रहा रिश्ताफ़ासले ऐसे भी होंगेये कभी सोचा भी न थाफासले मिटाने की कोशिशना तुमने की ना हमने कीफासला अब भी दो क़दमों का ही हैलेकिन "अश्विनी" ये कैसे फासले हैजो बढ़ने से कम ना हुए-अश्विनी कुमार मिश्रा
<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d448c42f7ed561c89
<p>जीवन के पथ पर</p> <p>जीवन के पथ पर हैं कठिनाई बहुत</p> <p>हार मिले मुझे चाहे जीत मिले</p> <p>जीवन
<p>✒✒अश्विनी कुमार मिश्रा की कलम✒✒</p> <p>भूल जाता हूं मैं</p> <p>क्या लिखा था मैंने</p> <p>बस लिख द
<p>✒✒अश्विनी कुमार मिश्रा की कलम✒✒</p> <p><br></p> <p>बात हो मुलाकात हो</p> <p>साथ हो तुम्हारा हर पल
<p>समझना चाहता हूँ तेरे सवालों को</p> <p>जवाब जिस का हमेशा कठिन होता है</p> <p>कल से सोच रहा हूं उन्
<p>✒✒अश्विनी कुमार मिश्रा की कलम✒✒</p> <p>यदि ज़िद है तो हा है</p> <p>ना तुम भी कोई कसर रखना</p> <p>न
<p>कुछ पल जिन्दगी</p> <p>लम्हा लम्हा ढलती जा रही</p> <p>ये ज़िन्दगी रेत की तरह</p> <p>फिसलती जा रही</
<p>याद हूँ मैं</p> <p>भुलाएँ ना भुला पाओगें</p> <p>ऐसा ही हूँ मैं</p> <p>जितना भुलाओगें मुझे</p> <p>
<p>बात कल की ही तो थी</p> <p>अनुभव नही था</p> <p>लोग साथ थे</p> <p>आज अनुभव साथ है</p> <p>लोग नही...
<p>✒✒अश्विनी कुमार मिश्रा की कलम✒✒</p> <p><br></p> <p>गुज़रे हुए वक़्त को हम भी ढूंढते हैं</p> <p>मगर
<p>✒✒अश्विनी कुमार मिश्रा की कलम✒✒</p> <p><br></p> <p>"माँ"</p> <p>वो कई रंगों को मिलाकर</p> <p>मेरे
<p>सच कहूँ तो</p> <p>एक नाजुक सा रिश्ता है </p> <p>तेरे मेरे दरम्यान</p> <p>क्यों नाराज होते हो
<p>रूठना मनाना तो</p> <p>ज़िन्दगी में चलता रहता है</p> <p>हम रूठे भी तो किसके बहाने रूठे</p> <figure>
<p>आज तन्हा हूँ मैं</p> <p>तो कोई गम नही</p> <p>तू याद इतना भी ना आ</p> <p>कि जब होश आये मुझको</p> <
<p>ऐ लम्हों थम जाओ जरा</p> <p>एक बात जो दिल में है मेरे</p> <p>बतानी है तुमको आज</p> <p>न जाने कब उस
<p>तुमने कभी चाहा था मुझको</p> <p>इस गलतफहमी में</p> <p>जिंदगी गुजार दी हमने</p> <p>तुम्हें तो बस बह
चलो बचपन जीते है फिर मिलकर हँसते है फिक्र की कोई बात नही उस कल को फिर जीते है नादानी हो जहाँ बेफिक्र हो कर जीते है चलो बचपन जीते है न कुछ पाने की इच्छा न कुछ खोने का डर बोलते थे झूठ लेकिन लग
जिंदगी तुम्हे आजमाएंगी दिलों के इरादों को आजमाएंगी मत गिरना टूटना हार कर जिंदगी तुम्हें जीना भी सिखाएंगी -अश्विनी कुमार मिश्रा