समय की यात्रा
विषय कुछ हटकर है
है क्या समय की यात्रा
क्या फायदा, क्या नुकसान
चिंतन कुछ कर रहा हूं
अगर मिल जाये वो ताकत
कोई कला ऐसी
इंसान कूद कर जा सके
एक समय से दूसरे समय में
कहते समय यात्रा इसे
है दूर वास्तविकता से
पर विषय किस्से कहानियों का
पर सोच रहा, हो जाये सचमुच ऐसा
योगदान देगी क्या मानव सभ्यता को
ऐसी अकल्पनीय कला
कुछ भी तो नहीं
लोग देख परेशानी कोई
निज जीवन में
कूदेंगें अकारण समय अंतरालों में
यही सोचकर
कि बच गये उस परेशानी से
पर होगा यह सत्य नहीं
आफत कई होंगी बैठी
मुह खोले उस अंतराल में भी
फिर ढूढेगा वह कोई और समय
बिता सके जिंदगी वहाॅ हसते खेलते
जीवन उस नर का
जो जानता है समय की यात्रा करना
बस रह जायेगा बंदर जैसा
जैसे बंदर कूदता एक डाली से दूसरी पर
वह भी एक समय से दूसरे में
यही चाह मन में लिये
कोई तो समय मिलेगा ऐसा
जहाॅ बिता लेगा जिंदगी वह निश्चिंत
पर सोचो ध्यान से
कष्ट किसने न सहे निज जीवन में
खुद राम, कृष्ण का जीवन
रहा भरा कष्टों से
तो मत उलझो समय की यात्रा के फेर में
लो ढूढ खुशियां, संघर्ष करते हुए
पर है संभव यह
निश्चित क्यों नहीं
बस दायरा बङाना है निज सोच का
कभी खिलाओ किसी भूखे को खाना
फिर देखना उसकी आंखों में
तृप्ति देख मिल जायेंगी तुम्हें खुशियां अपार
जिसे रहे ढूढ समय की यात्रा कर
तरीके कई हैं खुशियों के
बस दायरा निज मन का
बढाकर आसपङोस तक
और फिर धीरे-धीरे
बढाना है विश्व बंधुत्व तक
फिर जब औरों के कष्ट आयेंगे नजर तुमको
सच मानो, खुद के कष्ट बहुत कम लगेंगे
तो अब समय की यात्रा का ख्याल निकाल मन से
कर लेते हैं शुरू जीना
मिलेंगी मुश्किलें जीवन में कई
पर सिखला देंगी कई ज्ञान की बातें
शायद मिल भी न सके इतना ज्ञान
विश्व की किसी भी किताब में
और बांटकर सुख दुख
कट जायेगा समय हंसते हंसते
खुशियां मिल जायेंगीं अपार
जीवन के हर एक पल में
दिवा शंकर सारस्वत 'प्रशांत'