आनंद नीलकंठन
आनंद नीलकांतन एक भारतीय लेखक, स्तंभकार, पटकथा लेखक और सार्वजनिक वक्ता हैं। उन्हें पौराणिक कथाएँ लिखने के लिए जाना जाता है और उन्होंने ग्यारह किताबें अंग्रेजी में और एक मलयालम में लिखी है। वह बड़े काम के विरोधियों या सहायक पात्रों के परिप्रेक्ष्य के आधार पर कहानियों को कहने की शैली का अनुसरण करता है। आनंद नीलकंठन राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, केरल में त्रिचूर के छात्र रहे है। वे सं 2000 से इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के साथ काम कर रहे हैं साथ ही वे मलयालम पत्रिकाओं के लिए कार्टून भी बनाते हैं। उनका पहला उपन्यास असुर: पराजितों की गाथा था ओर वह अपने शुरूआती पहले सप्ताह में ही बेस्टसेलर बन बन गयी । उनकी दूसरी पुस्तक महाभारत पर आधारित है और दो किताबों की श्रृंखला हैं - अजय: पासों का खेल और कलि का उदय। आनंद नीलकंठन डेली न्यूज एंड एनालिसिस द्वारा 2012 के छह सबसे उल्लेखनीय लेखकों में रखे गए, इंडियन एक्सप्रेस ने उन्हें सबसे होनहार लेखक का दर्जा दिया हैं और फाइनेंशियल एक्सप्रेस द्वारा 2012 में उन्हें दूसरे सबसे अधिक पढ़े जाने वाले लेखक के रूप में पाया था। उनकी पहली पुस्तक असुर:: पराजितों की गाथा को 2013 में क्रॉसवर्ड लोकप्रिय पुरस्कार और उनकी दूसरी पुस्तक के लिए चुना गया था, अजय: पासों का खेल को क्रॉसवर्ड लोकप्रिय पुरस्कार के लिए 2014 में चुना गया। उनकी पुस्तकों का तमिल, हिंदी, मलयालम, तेलुगु, कन्नड़, मराठी, बंगाली, गुजराती, असमिया, अंग्रेजी और इंडोनेशियाई भाषा जैसी विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया है। वेबसाइट : https://www.anandneelakantan.com/
असुर - पराजितों की गाथा
नंबर 1 राष्ट्रीय बेस्टसेलर रहे अंग्रेज़ी उपन्यास के इस हिन्दी अनुवाद में लंकापति रावण व उसकी प्रजा की कहानी सुनाई गई है। यह गाथा है जय और पराजय की, असुरों के दमन की — एक ऐसी कहानी की जिसे भारत के दमित व शोषित जातिच्युत 3000 वर्षों से सँजोते आ रहे हैं।
असुर - पराजितों की गाथा
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अजेय - पाँसों का खेल
कौरव वंश का जया महाकाव्य भारत के महानतम महाकाव्यों में से एक महाभारत पर आधारित एक कहानी है। लेकिन, जहां जया पांडवों की जीत की कहानी थी, वहीं अजय अजेय कौरवों के दृष्टिकोण से कहानी है। पुस्तक भारत के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य की पृष्ठभूमि पर आधारित है।
अजेय - पाँसों का खेल
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कलि का उदय - दुर्योधन की महाभारत
कलि का उदय दुर्योधन की महाभारत महाभारत को एक महान महाकाव्य के रूप में चित्रित किया जाता रहा है I परंतु जहाँ एक ओर जय पांडवों की कथा है, जो कुरुक्षेत्र के विजेताओं के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत की गई हैं, जो कुरुक्षेत्र के विजेताओं के दृ
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शिवगामी कथा - बाहुबली आरम्भ से पूर्व
पांच वर्ष की अल्पायु में जब शिवगामी ने अपनी आंखों से देखा कि माहिष्मती के सम्राट ने उसके पिता को राजद्रोही घोषित कर मृत्यु का आदेश दिया है, तभी उसने प्रतिज्ञा कर ली कि एक दिन वह इस साम्राज्य का सर्वनाश कर देगी। इसी बीच, अपने कर्तव्यों पर आंख मूंदकर व
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