नंबर 1 राष्ट्रीय बेस्टसेलर रहे अंग्रेज़ी उपन्यास के इस हिन्दी अनुवाद में लंकापति रावण व उसकी प्रजा की कहानी सुनाई गई है। यह गाथा है जय और पराजय की, असुरों के दमन की — एक ऐसी कहानी की जिसे भारत के दमित व शोषित जातिच्युत 3000 वर्षों से सँजोते आ रहे हैं। रामायण के उलट, रावणायन की कथा अब तक कभी नहीं कही गई। मगर अब शायद मृतकों और पराजितों के बोलने का वक़्त आ गया है।
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