अन्धकार पर प्रकाश की विजय
एक गाँव में एक डकैत रहता था जो हमेशा डकैती करता था उसका एक बेटा था जो पढ़ाई - लिखाई करता था और बहुत प्रखर बुद्धि का था,
पढ़ाई, पूरी करने के बाद काम करने की तलाश करने के लिए निकला, बहुत कोशिश करने के बाद भी काम नहीं मिला तो थककर घर मे बैठ गया,
पिताजी ने कहा बेटा काम नहीं मिला तो क्या हुआ, चल मेरे साथ मेरे काम मे हाथ बटा, बेटा चल दिया और शाम होते - होते एक शहर मे पहुँच गये ।
शहर के अन्दर प्रवेश किया तो पिताजी ने अपने पुत्र से कहा देख बेटा सामने जो बल्ब जल रहा है ।
उस हवेली मे मैंने कई बार डकैती कर
चुका हूँ और बहुत माल हाथ लगा । चल आज उसी हवेली मे डाका डालते हैं ।
पिताजी की बात सुनकर बेटा एक - टक उसी हवेली के ऊपर जल रहे बल्ब व रोशनी को देख रहा था ।
पिताजी ने बेटे से कहा क्या सोच रहा है ? जल्दी ही काम को अंजाम देने के लिए तैयार हो जा ।
बेटा बोला – नहीं पिताजी ! मैं
डकैती नहीं करुँगा ।
पिताजी ने कहा – क्यों नहीं बेटा ?
बेटा बोला – जिसकी हवेली से कई बार डकैती करके ले गये उसके घर मे आज भी रोशनी है और हमारे घर मे
आज भी अंधकार है इसलिए मै अपने घर में मेहनत की कमाई से अंधकार को दूर कर दीपक जलाऊँगा, और हमें मेहनत की कमाई से खाना ज्यादा पसंद है ।