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हीरे की कीमत

7 मई 2023

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एक कुम्हार को मिट्टी खोदते हुए अचानक एक हीरा मिल गया, उसने उसे अपने गधे के गले में बांध दिया...


एक दिन एक बनिए की नजर गधे के गले में बंधे उस हीरे पर पड़ गई, उसने कुम्हार से उसका मूल्य पूछा...


कुम्हार ने कहा - सवा सेर गुड़


बनिए ने कुम्हार को सवा सेर गुड़ देकर वह हीरा खरीद लिया...


बनिए ने भी उस हीरे को एक चमकीला पत्थर समझा था, लेकिन अपनी तराजू की शोभा बढ़ाने के लिए उसकी डंडी से बांध दिया...


एक दिन एक जौहरी की नजर बनिए के उस तराजू पर पड़ गई, उसने बनिए से उसका दाम पूछा...


बनिए ने कहा - पांच रुपए


जौहरी कंजूस व लालची था, हीरे का मूल्य केवल पांच रुपए सुन कर समझ गया कि बनिया इस कीमती हीरे को एक साधारण पत्थर का टुकड़ा समझ रहा है...


वह उससे भाव-ताव करने लगा-पांच नहीं चार रुपए ले लो


बनिये ने मना कर दिया क्योंकि उसने चार रुपए का सवा सेर गुड़ देकर खरीदा था...


जौहरी ने सोचा कि इतनी जल्दी भी क्या है ? कल आकर फिर कहूंगा यदि नहीं मानेगा तो पांच रुपए देकर खरीद लूंगा...


संयोग से दो घंटे बाद एक दूसरा जौहरी कुछ जरूरी सामान खरीदने उसी बनिए की दुकान पर आया...


तराजू पर बंधे हीरे को देखकर वह चौंक गया, उसने सामान खरीदने के बजाए उस चमकीले पत्थर का दाम पूछ लिया...


बनिए के मुख से पांच रुपए सुनते ही उसने झट जेब से निकालकर उसे पांच रुपये थमाए और हीरा लेकर खुशी-खुशी चल पड़ा...


दूसरे दिन वह पहले वाला जौहरी बनिए के पास आया पांच रुपए थमाते हुए बोला - लाओ भाई दो वह पत्थर...


बनिया बोला - वह तो कल ही एक दूसरा आदमी पांच रुपए में ले गया...


यह सुनकर जौहरी ठगा सा महसूस करने लगा


अपना गम कम करने के लिए बनिए से बोला - "अरे मूर्ख..! वह साधारण पत्थर नहीं एक लाख रुपए कीमत का हीरा था"...


बनिया बोला - "मुझसे बड़े मूर्ख तो तुम हो मेरी दृष्टि में तो वह साधारण पत्थर का टुकड़ा था, जिसकी कीमत मैंने चार रुपए मूल्य के सवा सेर गुड़ देकर चुकाई थी, पर तुम जानते हुए भी एक लाख की कीमत का वह पत्थर पांच रुपए में भी नहीं खरीद सके...


दोस्तों - हमारे साथ भी अक्सर ऐसा होता है, हमें हीरे रूपी सच्चे शुभचिन्तक मिलते हैं, लेकिन अज्ञानतावश पहचान नहीं कर पाते और उसकी उपेक्षा कर बैठते हैं, जैसे इस कथा में कुम्हार और बनिए ने की..


कभी पहचान भी लेते हैं, तो अपने अहंकार के चलते तुरन्त स्वीकार नहीं कर पाते और परिणाम पहले जौहरी की तरह हो जाता है और पश्चाताप के अतिरिक्त कुछ हासिल नहीं हो पाता....


इस बुरे वक्त मे जो भाई बन्धु - मित्रगण या रिश्तेदार आपका साथ छोड़ रहे उन्हें अनदेखा किजिये सदैव सकारात्मक रहे इसी सोच के साथ कोरोना वायरस से अपना और अपने परिवार का बचाव करते हुये सदैव हंसते रहें, मुस्काराते रहें और चलते रहें जोश, जुनून व जज्बे के साथ |

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मुझे अच्छा लगता है

13 नवम्बर 2022
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बारिस की मीठी बूंदें ज़ब तेरे चेहरे पर पड़ती हैं मुझे अच्छा लगता हैं ये देख कि ये बारिस कितनी सफल हुई ये ज़िन्दगी कितनी नीरस हैं ना तुम्हारे बिन मगर ये नीरस ज़िन्दगी में तुम्हें मुस्कुराता देख मुझे अच्

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हीरे की कीमत

7 मई 2023
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अन्धकार पर प्रकाश की विजय

16 मई 2023
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अन्धकार पर प्रकाश की विजयएक गाँव में एक डकैत रहता था जो हमेशा डकैती करता था उसका एक बेटा था जो पढ़ाई - लिखाई करता था और बहुत प्रखर बुद्धि का था,पढ़ाई, पूरी करने के बाद काम करने की तलाश करने के लिए निक

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