(हमारीपृथ्वी पर हर जीव के अंदर दिल होता है जिसमें हर मनुष्य के हृदय में प्रेम की भावना पैदा होती है। हर प्राणी स्वभाव से भावनाओं से ओतप्रोत होता है चाहे वह नहीं बोलता पशु हो या दुनिया का सबसे बुद्धिमान जीव मनुष्य हो। हर नर और नारी के अंदर प्रेम की भावना जन्म लेती है जिसके बल पर वह हमेशा अपनी जाति के जीवों से प्रेम,दया, ममता और करूणा जैसी भावनाओं को प्रदर्शित करता है। मनुष्य की जिंदगी में हमेशा दो तरह के ही संबंध स्थापित होते हैं। एक प्रेम के रिश्ते और दूसरा खून का रिश्ता।
इन रिश्तों के बलबूते ही नर और नारी से मिलकर एक परिवार का निर्माण होता है। कई परिवारों के संगम से समाज और जाति का निर्माण होता है। इसके समाज के अंदर समान जाति या भिन्न भिन्न जातियों के एक साथ रहने से गांव का निर्माण होता है। कई गांवों का समूह पंचायत और इसके बाद उपखंड, उपखंड के बाद जिला और जिले से राज्य और राज्यों से देश एवं देशों के समूह से इस दुनिया का निर्माण हुआ है।
इस दुनिया में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को रचने के लिए ईश्वर या प्रकृति की दो अद्भुत रचना है जो नर और नारी और इनका संबंध हमेशा प्रेम के आधार पर चलता है। यह प्रेम दोनों को एक वैवाहिक बंधन में बांध देता है जो हर मनुष्य के अंदर एक विश्वास की डोरी पर चलता है। इस विश्वास को कायम रखने के लिए हर मनुष्य में मनुष्यत्व की भावना होना बहुत जरूरी है हर मानव में मानवता के भाव की उपस्थिति जरुरी होती है।
प्राचीनकाल से ही मानव के द्वारा नारी को शोषित किया गया है उसको प्रेम के जाल में फंसाकर उसके साथ जुल्म और अत्याचार किये गये है। नारी की देह के साथ खेलकर मनुष्य जाति ने उसके हक और अधिकारों का हनन किया है।
हर नारी को उस संविधान और संविधान के निर्माण करने वाले लोगों की पूजा करनी चाहिए क्योंकि उनका वर्तमान संविधान में मिले हक और अधिकारों से ही प्राप्त है। यदि एक स्त्री को उनके हक और अधिकार नहीं मिल पाते तो उसे हमेशा की तरह शोषण का शिकार होना पड़ता। आज नारी की प्रगति और उनके शिखर पर चढ़ने की कोशिश संविधान के बल पर ही चलता है।)
धरती पर हर लडका-लड़की अपनी जिंदगी में प्यार की दुनिया में कदम रखना चाहती है। लड़की की भावनाऐं प्यार के विषय में बहुत ही संवेदनशील होती है। वह प्यार के लिए हर उस बात को स्वीकार कर सकती है जो उसके लिए असंभव हो। प्यार की दुनिया आज से नहीं बनी है यह दुनिया प्राचीन से ही चली आ रही है।
हर मनुष्य की जिंदगी में प्यार की कीमत बहुत महत्व रखती है। लेकिन वर्तमान समय में लोगों ने प्यार के शब्द को बदनाम कर दिया है।
आज के समय हर दिन समाचार पत्र में प्यार में धोखे की एक नई न्यूज देखने को मिल जाती है। जिसमें हर लड़की अपनी सुनहरी जिंदगी को बर्बाद होती हुई पाती है। आज के समय में लोगों में धन के आगे मानवता हीन दिखाई पड़ती है लोग रूपये के सामने किसी भी मनुष्य की जान का सौदा करने से बिलकुल नहीं चुकते है।
इस तरह की घटनाओं से आज का मनुष्य हमेशा डरा रहता है कि उसे किस मोड़ पर उस कठिनाई कि सामना करना पड़ जाये जिसमें वह दोषी नहीं है।
यदि हम इस बात को कहें कि मनुष्य आज के धोखे और छल-कपट से डरिए हुआ है तो इस बात को कहना एक अपवाद भी होगा कि ऐसे कुछ ही मनुष्य होंगे जो किसी दूसरे के साथ धोखा और छल कपट करने से बच रहे होंगे। इसके अलावा हम स्वयं इस तरह का वातावरण तैयार करने के जिम्मेदार है। यदि मनुष्य अपने आप में खुद में परिवर्तन कर ले तो इस दुनिया में परिवर्तन करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा क्योंकि हर मनुष्य के मन में कहीं ना कहीं लैस पैदा हो रखा है जो दूसरे को हानि पहुंचाने का काम करता है।
इस समय मनुष्य ने प्यार को एक भावनाओं का खेल न समझकर कामवासना की वस्तु समझ लिया है जिसमें वह किसी भी नारी का शोषण करने से कभी भी नहीं चूकता है। आज के समय में किसी भोली भाली लड़की को झूठे वादे करके प्रेम के जाल में फंसा लिया जाता है उसके बाद उसका शारीरिक शोषण करने तक उसके साथ सच्चाई का झूठा चरित्र दिखाया जाता है।
कविता एक भोली भाली लड़की थी जो अभी अपनी स्कूली शिक्षा ग्रहण कर रही थी। वह एक गरीब माता-पिता की लड़की थी। जो गांव के सरकारी विद्यालय में अपनी पढाई पूरी कर रही थी।
उसके साथ में कमल भी शिक्षा ग्रहण कर रहा था। अभी तक कविता और कमल अपनी जिंदगी की किशोर अवस्था से दूर थे। लेकिन इस समय किसी भी लड़का या लड़की को दोस्ती करने का एक शौक सा लग गया है। लोग पढ़ने के वजाय प्यार मोहब्बत को ज्यादा अहमियत देने लगे हैं।
यह प्यार स्कूल की दोस्ती से प्रारंभ होने लगा। वे साथ-साथ पढ़ने जाते थे। कमल घर से रूपये लेकर पढ़ने के लिए जाता था। इस समय इनकी उम्र लगभग चौदह से पंद्रह साल के आसपास थी। इन दोनों के घर अलग-अलग गांव में कुछ ही दूरी पर थे लेकिन दोनों एक ही विद्यालय में पढ़ने जाते थे। स्कूल से पहले सड़क के एक मोड़ पर दोनों मिल जाते थे। इन दोनों की जिंदगी दोस्ती से कैसे प्यार में बदली और कविता के साथ कब धोखा हो गया।
कविता:- मैं एक गरीब परिवार की लड़की थी। मेरे पिता मजदूरी करते थे। गांव में हमारे कच्चे घर बने हुए थे। मेरे माता-पिता के पास में कुछ खेत थे जो मेरे पिताजी को मेरे दादा की वसियत के रूप में मिले थे। मैं पढ़ने में इतनी ज्यादा होशियार नहीं थी लेकिन मध्यम स्तर पर अपनी पढ़ाई पूरी कर रही थी। हां मैं करती भी क्या क्योंकि मेरे लिए पढ़ने के लिए वे सभी सुविधाएं नहीं थी जो एक अमीर बाप अपने बेटे को दिलवा सकता है। मैं अन्य बच्चों की तरह ट्युशन कक्षाएं भी नहीं लेती थी। क्योंकि हमारे समाज में हम लड़कियों को निम्न स्तर पर रखा जाता था। स्कूल में पढ़ने के अलावा मेरे पास घर पर पढ़ने के समय नहीं बचता था। मैं हमेशा पढ़ने के लिए इच्छुक थी लेकिन मेरी पढ़ाई मेरे पिता की गरीबी और मेरे भाइयों को पढ़ाने की प्राथमिकता में दबकर रह जाती थी। हम लड़कियों को समाज में बोलने के अवसर कम ही होते थे। इसलिए मैं किसी के सामने बोल भी नहीं सकती थी। उनकी इच्छा मेरे लिए वरदान होती थी।
मैं अपनी जिंदगी को मेरे माता-पिता परिवार के सहारे एक दबी हुई नारी के तौर पर गुजार रही थी जिसमें मेरी मर्जी कभी भी नहीं चलती थी। मेरी भाई के लिए सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाती थी। उन सभी सुविधाओं से मैं हमेशा वंचित रह जाती थी। मैं हमेशा उस ईश्वर को कोसती थी जिसने इंसान को बनाकर उसके अंदर इतनी विभिन्नता पैदा कर दी थी। और उन नियम के निर्माताओं को जिन्होंने इस धरती पर नर और मादा के लिए इतने भेदभाव भरे कानून बना डाले।
उस समय स्त्री के लिए आजादी के दरवाजे कम ही खुले हुए थे। हमारी जिंदगी एक गुलाम की तरह जुल्म और अत्याचारों को सहते-सहते गुजर जाती थी। हम सदैव भेदभाव की ज्वाला में जलते रहते थे।
आजादी के बाद देश में बने संविधान में नारियों के लिए दिये गये हक और अधिकारों का प्रयोग जिस समय से होने लगा हमारी स्थिति में सुधार होने लगा था। लेकिन मेरे समय में गांवों में इतने ही सुधार हुए थे कि हम स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए गांव के स्कूल से भी बाहर जाना शुरू कर दिए थे।
मेरे माता-पिता के पास मेरे भाई को पढ़ाने के लिए रूपया उपलब्ध हो जाता था चाहे वह कर्ज का हो या हमारे पिताजी की कमाई का लेकिन मेरे लिए मुझे हमेशा डांट झेलनी पड़ती थी। मैं अपने माता-पिता के सामने हर समय हाथ फैलाकर ही रह जाती थी लेकिन मुझे पचास प्रतिशत मौके पर भी इच्छित राशि की कुछ राशि मिल पाती थी।
सारी परिस्थितियों के मध्य रहते हुए मैंने अपनी स्कूल से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त कर लेने के पश्चात मै अपनी आगे की पढ़ाई करने के लिए दूसरे स्कूल में चली गई थी लेकिन समय तीव्र गति से पार हो रहा था जिसे पकड़ पाना बहुत ही कठिन होता है। मैं भी समय के अनुसार बड़ी होने लगी थी मेरे माता पिता के मन में यह विचार थे कि मैं मेरी शादी होने तक पढ़ती रहूं लेकिन उनका पढ़ाना मेरे लिए नाम मात्र था क्योंकि मुझे घर पर आने के बाद मां के घरेलू और खेती के कामों में हाथ बंटाना पड़ता था।
इस तरह मेरी जिंदगी दूसरों के इशारे पर नाच रही थी। और मैं अपनी जिंदगी में चुप रहकर अपनी पढ़ाई करने के साथ गरीब माता-पिता के कामों में भागीदारी निभा रही थी। लड़कियों की उम्र के साथ परिपक्वता बढ़ने लगती है और मैं अपनी उम्र के बदलावों के पहले पायदान पर अपने कदम रख रही थी इस उम्र में लड़की हो या लड़का उसकी उम्र के साथ उसके शरीर में शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होने लगते हैं। यह सभी एक निश्चित उम्र में हार्मोन्स में होने वाली सक्रियता के कारण होता है। इसलिए मैं ही नहीं हर लड़की की जिंदगी में नयापन आता है और अपनी जिंदगी में नयापन महसूस करती है।हर युवा की जिंदगी में होने वाले सावेंगिक परिवर्तन उसे एक दूसरे के विपरित आकर्षण का भाव उत्पन्न करते हैं। यदि इस समय कोई भी बालक अपनी जिंदगी पर नियंत्रण नहीं कर पाता है तो अपनी जिंदगी को हमेशा के लिए बर्बाद कर सकता है। इस समय एक बालक में हारमोनिक परिवर्तन के साथ उसकी सामाजिक जिंदगी में परिवर्तन होने लगते हैं और वह समाज की गतिविधियों को तेजी से अनुसरण करता है और अपनी जिंदगी में कुछ अलग करने की सोचने लगता है इसलिए हर बालक पर निगरानी का एक बहुत ही बडा समयकाल होता है। यदि बालक गलत दिशा में मुड़ गया तो वह जिंदगी का सबसे खराब बालक होगा।