कमल भी उसी कक्षा में मेरे साथ ही पढ़ता था। हालांकि हम अलग-अलग गांव से थे लेकिन मेरे रास्ते के एक मोड़ पर हमारी मंजिल एक ही हो जाती थी। मैं मेरे गांव के बहुत से लड़के लड़कियों के साथ जाती थी लेकिन उस मोड़ पर कमल मुझे मिल ही जाता था।
इस बात का मुझे पता नहीं था कि वह मेरे लिए जानकर रुकता था या मुझे देखकर उसके मन में कोई बात रहती थी। इस बात से मैं बिलकुल अनजान थी।
कमल भी एक बहुत ही सुन्दर और बुद्धिमान लड़का था वह पढ़ने में बहुत होशियार था और हमेशा कक्षा में अच्छे नंबर प्राप्त करता था। कमल की सभी टीचर्स के साथ अच्छी जान पहचान थी। क्योंकि किसी भी विद्यालय में होशियार बच्चों को हर बालक पसंद करता था।
हां हम एक साथ आना जाना अवश्य करते थे लेकिन वह मुझसे कभी भी बातें नहीं करता था। वह मेरी तरफ नजरें चुराकर देखता जरूर था लेकिन हमारी आपस में कभी भी बातें नहीं हुई थी। हम कक्षा में भी कभी एक दूसरे के साथ बातें नहीं करते थे क्योंकि मैं उस कक्षा में पढ़ाई लिखाई में मध्यम किस्म की विधार्थी थी। इसलिए उनका समूह अलग ही था।
कमल और मुझे पढ़ते हुए लगभग दो साल हो गए लेकिन हमने एक दूसरे हूं कभी भी बातें नहीं की।
मैं गरीब लड़की थी और माता पिता के लिए एक पराये घर की चीज थी। उनके लिए मैं परायी थी। लेकिन मेरे लिए मेरा परिवार हमेशा ही अपना था।
एक दिन स्कूल जाते समय मेरे साथ कोई भी बालक नहीं था और मैं अकेली ही स्कूल के लिए जा रही थी। अन्य दिनों की तरह मुझे आज भी कमल उस रास्ते पर ही मिला । मैं उसे देखकर एकदम से चौंक गई क्योंकि आज तक उसने मुझसे कभी बात तक नहीं की और कभी भी हमें अकेले स्कूल जाने का मौका मिला था। मैं अंदर ही अंदर डरी हुई सी थी। मुझे इस बात का डर लग रहा था कि आज हम दोनों को अकेले जाते हुए देखकर लोग कुछ बहम नहीं कर लें।
हम दोनों ने आज तक कभी भी एक दूसरे बात नहीं किते थे। लेकिन आज हम दोनों ही इस बात से डरे हुए थे। कमल मेरे आगे-आगे चलता ही जा रहा था। उसकी मुझसे बोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
मैं भी उससे बोलने से डर रही थी। कि मैं उससे कैसे बातें करूं।
कुछ देरी पर जाने के बाद मैंने कमल को पीछे से आवाज़ दी कि कमल मुझे भी साथ ले चलो आज मेरे साथ कोई नही आया है। मैं भी अकेली ही हूं।
कमल ने कहा आ जाओ मैं तुम्हारे साथ की वजह से ही यहां रूका था।
कविता कहने लगी क्या तुम यहां पर इसी समय आते हो।
हां मैं इसी समय आता हूं यदि पहले आ भी जाता हूं तो यहां पर तुम्हारा आने का इंतजार करता हूं।-कमल ने कहा।
कविता ने पूछा तुम पहले आकर यहां क्यों रूक जाते हो सीधे स्कूल क्यों नहीं जाते हो।
कविता मैं यहां पर तुम्हारे साथ के लिए रूकता हूं। क्योंकि मैं अपने घर से अकेला ही आया हूं और जो भी बच्चे आते हैं तो वे अपनी साइकिलों से स्कूल चले जाते हैं ।
क्या तुम्हारे पास साइकिल नहीं है? मैंने कहा।
मेरे पास साइकिल नहीं है मेरी साइकिल मेरे पिताजी ले जाते हैं।-कमल ने कहा।
कमल तुम क्लास में बहुत ही होशियार और सीधे लड़के हो तुम मुझे बहुत ही अच्छे लगते हो।
कविता तुम भी बहुत अच्छा हो। मैं बहुत दिनों से तुमसे बात करना चाहता था। तुम भी मुझे बहुत अच्छी लगती हो। तुम अपनी कक्षा में सभी लड़कियों से अलग ही व्यवहार रखने वाली लड़की हो।
तुम्हें कभी भी मैने किसी से बदमाशी करने या लड़ते झगड़ते नहीं देखा। अन्य कुछ लड़कियां हमेशा लडती झगड़ती रहती है। वे मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है।
कमल मुझे मेरी पढ़ाई से मतलब नहीं है मैं सिर्फ पढ़ने के लिए आती हूं और घर वालों से बहुत डरती हूं। यदि मेरी शिकायत सुन ली तो वे मुझे पढ़ाई से बंद कर लेंगे।
इस तरह बातें करते हुए मैं और कमल रास्ते में चलते जा रहे थे। कुछ लोग हमें देखकर बहुत ही तीखी नजरों से देख रहे थे क्योंकि गांव में एक लड़की के साथ लड़के को अकेला जाना लोगों की आंखों में बहुत अखरता था।
हम कुछ ही समय में स्कूल में पहुंच गये और वहां जाकर मैं लड़कियों के समुह में जाकर मिल गई और कमल अपने समुह में जाकर मिल गया।
मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था कि आज मुझे कमल से बातें करने का मौका मिल गया।
आज मुझे अजीब सा नया अहसास हो रहा था। मैं मन ही मन बहुत खुश थी।
उस दिन लंच के समय में मै अकेली बैठी हुई थी कि बाहर से घूमता हुआ कमल भी क्लास में आ गया।
उसने मुझे अकेला देखकर पूछा। कविता तुम यहां अकेली क्यों बैठी हो।
मैने कहा बस ऐसे ही बैठी हूं।
मैं बाहर से घूमकर अभी आई हूं।
अच्छा-कमल ने कहा।
उसने जेब में हाथ डालकर एक चॉकलेट निकाली और मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा कि ये ले कविता चाकलेट खा ले।
मुझे चाकलेट लेने से डर लग रहा था कि कहीं कोई मुझे देख नहीं ले। यदि किसी ने देखा तो मैं बदनाम हो जाऊंगी इसलिए मैं उसे मना करने लगी।
मैंने उससे कहा रहने दें कमल। मै यह नहीं खाती हूं।
मैंने अनजान बनकर कहा।
हां इन चीजों को मैंने खाया ही नहीं क्योंकि मेरे पास खर्च करने के लिए इतने रूपये नहीं मिलते थे कि मैं बाज़ार से खरीदकर शौक करने वाली चीजें खाकर स्वाद चख सकूं।
कमल कहने लगा खा ले कविता इसे खाने में कोई दिक्कत नहीं है।
मैं तुम्हें इतने प्यार से दे रहा हूं और इसे लेने से इंकार कर रही है।
नहीं कमल मैं सच में नहीं खाती हूं।
यह सुनकर कमल जिद करने लगा मैं उसकी जिद के आगे टिक ना सकी और उसके हाथ से चाकलेट लेकर उसे थैले में छुपा लिया।
कमल के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव दिखाई दे रहे थे। वह मेरी तरफ तिरछी नजरों से देखकर मुझसे नजरें चुरा रहा था।
मैं भी उसकी तरफ देखकर अपना आंखें दूसरी तरफ मोड लेती थी।
इस तरह मैं और कमल उस दिन से एक दुसरे से बातें करने लग गए।
किसी भी अनजान लड़के से बातें करने का यह मेरे लिए पहला मौका था।
आज है मेरी जिंदगी में एक नया अहसास शुरू हो चुका था।
मैं और कमल हम दोनों ही प्यार की परिभाषा नहीं समझ पाते थे। हम दोनों के दिलों में प्यार करने की कोई बात नहीं लेकिन जिंदगी में परिवर्तन कैसे होता है यह इस दिन का एक नया अहसास था।