अंकों से मत परखो मुझको
मैं कोई 'सूचकांक 'नहीं हूँ
औरों से मत तुलना करना
मौलिक हूँ 'मूल्याँक 'नहीं हूँ !
मुझे पता है अपने सपने
मुझ पर आप टाँक रखते हो
अपनी अभिलाषा के दीपक
मुझसे ही रोशन करते हो !
मेरी अपनी सीमायें है
फिर भी अपनी इच्छा हैं
मुझको वह सब नहीं सुहाता
जग के लिये जो अच्छा है !
पंख मेरे भी हैं सपनों के
उड़ना मैं भी चाहूँगा ,
है परन्तु आकाश भिन्न वह
अपना जिसे बनाऊँगा !
माना है शिक्षा आवश्यक
हमको योग्य बनाती है
लेकिन यह 'औपचारिक शिक्षा'
सबको नहीं सुहाती है !
शिक्षा का उद्देश्य ' ज्ञान ' हो
हम सीखें मानवता भी
कैसे ख़ुश हम रहे यहाँ
हो मात्र जहाँ 'स्पर्धा 'ही !
अपनी रुचि से पढ़ने दो
अपनी मर्ज़ी से जीने दो
आप मेरे 'अभिभावक 'हो फिर
क्या 'अभीष्ट 'है यह सोचो!!