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महिला दिवस

8 मार्च 2017

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'महिला दिवस ' पर सभी महिलाओं को समर्पित

दर्पण में प्रतिबिम्ब देख

वह आत्ममुग्ध हो पलटी

बोला उसे पुकार ,स्वयम् पर

डाल नयी अब दृष्टि !


तनिक ध्यान से देखो तो

तुम हो एक पुंज प्रकाश ,

अपना मूल्याँकन करने का

कुछ तो करो प्रयास !


पंख लगे हैं अभिलाषा के

उड़ लो पंख पसार!

स्त्रोत शक्ति का हो अपार

फिर क्यूँ कर फिरो हताश !


हाँ , कोमल है देह तेरी

पर भीतर है इस्पात,

अन्तर है गहरा सागर से

करूणा का भण्डार !


कितनी बेड़ी डाल तुझे

यूँ जकड़ा है सदियों से

अब है समय , तोड़ बन्धन

तुम उतरो समर भूमि में!


जिसमें क्षमता हो असीम

वह अबला क्यूँ कहलाये

मिली प्रकृति से सृजनशक्ति

वह आश्रित क्यों रह जाये?


बात करें क्या निर्जन पथ की

गर्भ में तुम असुरक्षित,

उठा अस्त्र अब सबला बन

कर अपने को अब रक्षित !


तुम बिन है हर आँगन

सूना ,अँधियारा संसार ,

महिला दिवस मनाने से ही

होगा क्या उद्धार ?


तुम जैसी बालायें जब जब

चलीं विजय के पथ पर

नहीं रोक पाया जग उनको

पहुँची उच्च शिखर पर !!

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प्रार्थना

8 नवम्बर 2016
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कब गीत प्रेम के गाऊँगी

10 फरवरी 2017
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कुछ दिन पूर्व 'आशा साहनी' जी की दर्दनाक मृत्यु की घटना ने युवा पीढ़ी पर कई प्रश्न उठाये थे . मेरा कहना उन माता पिता से है जिन्हें ऐसी परिस्थिति में जीवन की सन्ध्या व्यतीत करनी ही होती है ---- कुछ पल कभी चुरा कर तुमनेइक डिबिया में क़ैद किये थेउसे समझ कर अपनी पूँजीशेष उन्हीं पर वार दिये थे !धीरे धीरे

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