यदि सौदर्यगत संतुष्टि ही सब कुछ होती तो महज सुषमा या
सम्मोहन वाली नारी के प्रति चाहत व् आकर्षण भावनात्मक संतुष्टि के खो जाने पर भी
भली भांति न बने रहते | जब झुर्रियां उसके
चेहरे पर उम्र का लेखा प्रगट करती या जब कोई दुर्घटना उसकी सुन्दरता पर आघात करती
तो यह चाहत क्षीण होकर नष्ट हो जाती | क्योंकि तब वर्तमान आकर्षण को प्रोत्साहन
देने वाला कारण समाप्त हो गया होता |
योगी अरविन्द (पांड्चेरी )