न छेड़ो मुझे मैं सताया गया हूँ ,
हंसाते हंसाते रुलाया गया हूँ |
करो व्यंग कितने तुम मेरे मिलन पर ,
मैं आया नहीं हूँ , बुलाया गया हूँ |
२
ओ जीवन के थके पखेरू बढ़े चलो हिम्मत मत हारो ,
पंखों में भविष्य बंदी है ,मत अतीत की ओर निहारो |
क्या चिता धरती यदि छूटे , उड़ने को आकाश बहुत है |
बलवीर सिंह
रंग