खुद पसंदी है फितरते इन्सा ,
जो अपनी कमियों को भूल पाता हो
देख कर खुद को आइने में आप
कौन है जो न मुस्कुराता हो
नजर बरनी
सालहा साल की तलाश के बाद
जिन्दगी के चमन से छांटे हैं
आपको चाहिये तो पेश करूं
मेरे दामन में चंद कांटे हैं |
नजर बरनी