पवन सामने है न तुम गुनगुनाना ,
कली ने कहा पर भ्रमर ने न मानामुझे पार जाना , नहीं डूब जाना
तरनि ने कहा प रलहर ने न मानामुझे लक्ष्य पाना नहीं क्षण गवांना
पथिक ने खा पर डगर ने न माना
9 सितम्बर 2016
पवन सामने है न तुम गुनगुनाना ,
कली ने कहा पर भ्रमर ने न मानामुझे पार जाना , नहीं डूब जाना
तरनि ने कहा प रलहर ने न मानामुझे लक्ष्य पाना नहीं क्षण गवांना
पथिक ने खा पर डगर ने न माना
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सेवा निवृत प्रधानाचार्य शिक्षा एम ए-( इतिहास , हिंदी ) जन्म 15अगस्त1942; बुलंदशहर | वर्तमान में बेटे के पास साहिबाबाद में | रुचियाँ - कविताएँ ,कहानियां ,व्यंग्य ,शब्दचित्र , गजल , मुक्तक आदि लिखने मैं बचपन से अभिरूचि | अनेक कवितायेँ गीत लेख कहानियां प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित | एक कविता संग्रह मन की वीथियाँ प्रकाशित व दो कहानी संग्रह लगभग प्रकाशन के लिए तैयार | D
बहुत सन्दर
17 दिसम्बर 2021