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5 किताबें
वक्त की चाल चल ही जाती है ,गम की सूरत बदल ही जाती है ,सख्त से सख्त चोट खाकर भी-ज़िन्दगी फिर सँभल ही जाती है **************************जिस तरह कोई निर्धन लाचार जीर्ण वस्त्र तार तार सीता है ठीक वैसे ही दुःख अभावों में आदमी आस लेके जीता है
भाग्य में अपने क्या बस काली रात है नयन ने पायी आँसू की सौगात है बस ऊँचे भवनों तक आता उजियारा गाँव में अपने उगता अजब प्रभात है
आंसुओं के घर शमा रात भर नहीं जलती आँधियोँ हों तो कली डाल पर नहीं खिलती धन से हर चीज़ पाने की सोचने वालो मन की शान्ति किसी दुकान पर नहीं मिलती
अंधेरों के दुःख दर्द सूरज से कहते हो तुम नाव कैसे डूबी लहरों से पूछते हो तुम छल से जिस मगर ने सब खाई चुरा के मछली सत कथन की उससे क्या उम्मीद करते हो तुम
जितनी दूर अधर से खुशियां , जितनी दूर सपन से अँखियाँ , जितने बिछुए दूर कुआंरे पाँव से- उतनी दूर प
अच्छे सम्बन्ध इस बात पर निर्भर नहीं करते कि हम एक दूसरे को कितना समझतेहैं | बल्कि इस बात पर निर्भर करते हैं किहम एक दूसरे के प्रति मन में उत्पन्न होंने वाली गलत फहमियों को कितना नकारते हैं| --- --- --- --- --- ---
स्केच - तीन मित्र तीन बात के एक मित्र का विवरण(१) मेरे एक मित्र हैं - डाक्टर पारिजात जो यहींराजकीय चिकित्सालय में सर्जन हैं | उनकी पत्नी डा.पल्लवी इंगलिश में एम . ए. व् पीएच् डी हैं | लेकिन मेरे ये मित्र भी अपने दाम्पत्य जीवन से संतुष्ट नहीं हैं |उनकी शिक
मत कर यहाँ सिंगार , द्वार पर खड़ा हुआ पतझार , चार दिन की है सिर्फ बहार || दुनियां में हर फूल झूमता खिल कर मुरझाने को , दुनियां में हर सांस जागती , थक कर सो जाने को | जीवन म
<p>गीत</p> <p> याद न तब भूली
गीत आओ आज वहां चलते हैं | जहां प्यार की गंगा बहती , सब हंस कर मिलते जुलते हैं | आओ आज वहां चलते हैं | छोटे छोटे घर झौंपड़ियाँ , छोटे छोटे स्वप्न सजीले | बस कैसे भी हो मैं कर दूं ,
गीत कोई तो सच सच बतलाये , राम राज में पग धरने को , कितना अभी और चलना है | दोनों पांवों में छाले हैं , होटों पर जकड़े ताले हैं | दूर दूर तक कहीं जरा भी , नहीं दीखते उजियाले हैं | चारों ओर घिर
आज नया सूरज उग आया जागा हर इन्सान , धीरे धीरे खोल रहा है पलके हिदुस्तान | अपनी धरती अपना अम्बर , अपने चाँद सितारे , मुस्कायें तो फूल बरसते , रोयें तो अंगारे, इसी लिए आँखों में आंसू , म