अनकही फरियाद खुदा से,
लौट आजा बीता समय तू,
किंतु कालचक्र ऐसा चलता,
समय ऐसा चलता ही रहता।
कभी न एक पल को ठहरता।
चलती घड़ी की टिक टिक,
कहती अपनी जुबानी कहानी।
अनकही फरियाद खुदा से
बीते समय में पहुंच जाए।
घड़ी को उलटा घुमा कर,
प्रकृति विरुद्ध गुजर जाए।
बीता हुआ पल,
वापस लौट कर नहीं आता।
प्रकृति भी अपनी,
कुछ मर्यादा निभाता।
समेट लो हर पल,
जिंदगी दुबारा नहीं पाता।
बड़ी है अरु छोटी सी,
जीने का सलीका नहीं आता।।
अनकही फरियाद ऐसी,
खुदा पूरा नहीं कर पाता।
जीवन मिलता एक बार,
बीता समय दुबारा नहीं आता।।
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स्वरचित मौलिक
अनुपमा वर्मा