श्राद्ध मास आया अब, करते पूर्वजों को याद।
दुआ बड़ो की रहे , करते सदा हम फरियाद।
हम उनके वंशज हैं, तस्वीरों में उन्हें सजाते,
देख तस्वीर पूर्वजों की, याद आए बुनियाद।।
श्रद्धा सुमन अर्पित कर, करें पूर्वजों का तर्पण।
कभी गंगा स्नान ध्यान, करते हम जल अर्पण।
श्राद्ध मास पूजा पाठ पिंड दान पंडित से कराए,
तस्वीरों में देख उन्हें, लगते उनका हम दर्पण।।
जीवित मात पिता की, सेवा सुश्रुषा सदा करो।
बसता आशीर्वाद सदा ही, चिन्तन मनन करो।
बच्चों की खुशियों खातिर, कितने दुःख दर्द सहे,
उन्हें जरूरत तुम्हारी जब, उनका चिन्तन हरो।।
बसे परदेस बच्चे जब, रोते उनकी देख तस्वीर।
कुछ पल संवाद बिताए, रोए जब करते तकरीर।
वक्त बीता कभी नहीं, लौटता करते हैं यकीन,
चैन सुकुन मिले उन्हें, संवरती बच्चों की तकदीर।।
भरे हौसले उड़ान बच्चे, उल्लास उमंग अरु उजास।
संस्कारी संस्कृति में पलते, मात पिता न हो उदास।
जीवन अविराम सतत निरंतर,रहता है यह गतिशील,
बच्चे गर तकलीफ में हों, हो जाता है उन्हें आभास।।
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स्वरचित मौलिक
अनुपमा वर्मा