बेटियां होती पराया धन,
ब्याहना इन्हें जरूर है।
कैसी है ये रस्म अदायगी,
निभाना इन्हें जरूर है।।
छोड़ बाबुल का घर आंगन,
पिया घर जाना जरूर है।
ढलना है नए परिवेश में,
रिश्तों को निभाना जरूर है।।
कैसी मां पिता की व्यथा,
जुदाई सहना जरूर है।
छूटे भाई बहन का साथ,
नए रिश्तों में बंधना जरूर है।।
संसार की माया है ऐसी,
परंपरा निभानी जरूर है।
कोई न रख पाया बेटियों को,
ब्याहना इन्हें जरूर है।
साथ पिया का मिले ऐसा,
प्यार में बंधना जरूर है।
सासू मां हो मात तुल्य,
ममता में बंधना जरूर है।।
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स्वरचित मौलिक
अनुपमा वर्मा