"मनुसाई" यह 19वां काव्य संग्रह है। मानव का जन्म लेकर अगर मानवता नहीं है...तो मानव जीवन व्यर्थ है। किसी भी व्यक्ति या वस्तु की पहचान उसके गुणों से होती है..उसी तरह मनुष्यता मनुष्य होने की पहचान है।
सुख, समृद्धि एवं शांति से परिपूर्ण जीवन के लिए सच्चरित्र तथा सदाचारी होना पहली शर्त है...जो उत्कृष्ट विचारों के बिना संभव नहीं है। हमें यह दुर्लभ मानव जीवन किसी भी कीमत पर निरर्थक और उद्देश्यहीन नहीं जाने देना चाहिए।
लोकमंगल की कामना ही हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। केवल अपने सुख की चाह हमें मानव होने के अर्थ से पृथक करती है। मानव होने के नाते जब तक दूसरे के दु:ख-दर्द में साथ नहीं निभाएंगे...तब तक इस जीवन की सार्थकता सिद्ध नहीं होगी...वैसे तो हमारा परिवार भी समाज की ही एक इकाई है...किंतु इतने तक ही सीमित रहने से सामाजिकता का उद्देश्य पूरा नहीं होता।
हमारे जीवन का अर्थ तभी पूरा हो सकेगा जब हम समाज को ही परिवार मानें। मानवता में ही सज्जानता निहित है...जो सदाचार का पहला लक्षण है। मनुष्य की यही एक शाश्वत पूंजी है। मनुष्य भौतिकता के वशीभूत होकर जीवन की जरूरतों को अनावश्यक रूप से बढ़ाता रहता है...जिसके लिए सभी से भलाई-बुराई लेने को भी तैयार रहता है...लेकिन उसके समीप होते हुए भी वह अपनी शाश्वत पूंजी को स्वार्थवश नजरअंदाज करता रहता है।
यदि हमने तमाम भौतिक उपलब्धियों को एकत्र कर लिया है लेकिन...हमारा अंतस जीवन के शाश्वत मूल्यों से खाली है...तो हमारी सारी उपलब्धियां निरर्थक रह जाएंगी। मानवता के प्रति समर्पित होकर नैतिक मूल्यों की रक्षा के लिए ईमानदारी से प्रतिबद्ध हों...मानव जीवन की सार्थकता इसी में निहित है।
जीवन की वास्तविक सुख-शांति इसी में है। जीवन में नैतिकता की उपेक्षा करने से आत्मबल कमजोर होता है। मानव जीवन में जितने भी आदर्श उपस्थित करने वाले सद्गुण हैं...वे सभी नैतिकता से ही पोषित होते हैं। मनुष्य को उसके आदर्श ही अमरता दिलाते हैं। आदर्शों का स्थान भौतिकता से ऊपर है। मानव मूल्यों की तुलना कभी भौतिकता से नहीं की जा सकती...यह नश्वर हैं। अभिमान सदैव आदर्शों और मानव मूल्यों को नष्ट कर देता है। अत: इससे सदैव बचने की जरूरत है।
अपनी मिट्टी अपने वतन से प्रेम करना सबसे बड़ी मानवता है। इस मिट्टी के लिए सब कुछ कुर्बान करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
भारतभूमि वह पवित्र भूमि है...जिस पर जन्म लेने के लिए देवता भी तरसते हैं।
मनुसाई काव्य संग्रह कुछ इसी प्रकार के भावों को लिए हुए हैं...
सबसे प्यारा देश हमारा
हम इसका गुणगान करें।
तन मन से इसकी रक्षा में
अपना जीवन दान करें।
यह पुस्तक अब पाठकों के हाथों में है...पाठक इसकी प्रतिक्रिया अवश्य प्रेषित करें। असीम शुभकामनाओं के साथ...
निशा नंदिनी भारतीय
आर.के.विला
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