shabd-logo

हे ग्राम देवता नमस्कार

29 मई 2022

22 बार देखा गया 22
empty-viewयह लेख अभी आपके लिए उपलब्ध नहीं है कृपया इस पुस्तक को खरीदिये ताकि आप यह लेख को पढ़ सकें
46
रचनाएँ
मनुसाई (काव्य संग्रह)
0.0
"मनुसाई" यह 19वां काव्य संग्रह है। मानव का जन्म लेकर अगर मानवता नहीं है...तो मानव जीवन व्यर्थ है। किसी भी व्यक्ति या वस्तु की पहचान उसके गुणों से होती है..उसी तरह मनुष्यता मनुष्य होने की पहचान है। सुख, समृद्धि एवं शांति से परिपूर्ण जीवन के लिए सच्चरित्र तथा सदाचारी होना पहली शर्त है...जो उत्कृष्ट विचारों के बिना संभव नहीं है। हमें यह दुर्लभ मानव जीवन किसी भी कीमत पर निरर्थक और उद्देश्यहीन नहीं जाने देना चाहिए।
1

लेखिका का परिचय

23 जून 2022
1
1
0

डॉ.निशा गुप्ता साहित्यिक नाम डॉ. निशा नंदिनी भारतीय का जन्म 13 सितंबर 1962 में उत्तर प्रदेश के  रामपुर जिले में हुआ था। पिता स्वर्गीय बैजनाथ गुप्ता रामपुर चीनी मिल में अभियंता थे और माता स्वर्गीय राधा

2

अपनी बात

29 मई 2022
3
1
0

"मनुसाई" यह 19वां काव्य संग्रह है। मानव का जन्म लेकर अगर मानवता नहीं है...तो मानव जीवन व्यर्थ है। किसी भी व्यक्ति या वस्तु की पहचान उसके गुणों से होती है..उसी तरह मनुष्यता मनुष्य होने की पहचान है। सु

3

भुवन मंडले मंगलम्

29 मई 2022
0
1
0

नववर्ष नव मंगलम् भुवन मंडले मंगलम्। गगन मंडलं मंगलम् नववर्ष नव मंगलम्।   देवकीपरमानंदम्               अग्निर्ज्योति मंगलम्। आनंदामृतवर्षकम् धरणीम् भरणीम् मंगलम्। नववर्ष नव मंगलम् भुवन मंडले

4

करनी का फल

29 मई 2022
0
1
0

कौन कहता है?    2020 बुरा था।  वह तो शुभचिंतक था   हमारा तुम्हारा।  आया था जगाने  कलियुगी नींद में सोये  हम सबको।   हर चीज की  अति बुरी होती है।  स्वार्थी बनकर  हम कर रहे थे खिलवाड़  नेचर क

5

अपना जीवन दान करें

29 मई 2022
0
1
0

सबसे प्यारा देश हमारा हम इसका गुणगान करें। तन मन से इसकी रक्षा में अपना जीवन दान करें।   शस्य-श्यामल माटी इसकी जन-जन का पोषण करती। छिपाए अंक में अनुपम कोश दीन-दुखी का दुख हरती। सबसे प्यारा दे

6

धरती पर ही कदम बढ़ाओ

29 मई 2022
0
1
0

दौड़ो ना तुम चांद पार के धरती पर ही कदम बढ़ाओ। उड़ती चिड़िया से लेकर हौंसला तन मन से कर्म में जुट जाओ।   लेकर सूरज से आंतरिक ऊर्जा पहले तन मन स्वस्थ बनाओ। होकर समर्पित राष्ट्र भूमि पर जीवन अपन

7

सबको बढ़ना चाहिए

29 मई 2022
0
1
0

काम कितना हो कठिन सबको करना चाहिए। राष्ट्र सेवा के लिए सबको बढ़ना चाहिए। जन्म लेकर इस धरा कुछ तो मोल चुकायिए। काम कितना हो कठिन सबको करना चाहिए।   ध्येय मार्ग पर चल करके हिम्मत कभी न हारिए।

8

मनुज का सहारा बनें

29 मई 2022
0
1
0

हम मनुज हैं मनुज का सहारा बनें। डरे-डूबे हुओं का                      किनारा बनें।   नर से नारायण बनकर              हम सेवा करें। दीन-दुखियों के दुख को                  हम दूर करें। हम चलें आ

9

तूफान

29 मई 2022
0
1
0

तूफान सिर्फ दूर बैठे समुंदर में नहीं मेरे तुम्हारे सबके अंदर उठता है एक तूफान तूफान अरमानों का तूफान उम्मीदों का तूफान जज्बातों का तूफान जागीरों का।   होश में जोश खोने का गिरती दीवारों को उठ

10

हे ग्राम देवता नमस्कार

29 मई 2022
0
1
0

हे ग्राम देवता नमस्कार  धरती का करते उपकार।  किसने ये उत्पात किया।  धरती को आहत किया।     देख उसके कुकृत्यों को  सुखदेव भगत रो रहा आज।  शेखर सुभाष की कुर्बानी की  ना रखी उसने तनिक लाज।     क

11

उस पार सरहद के चली

29 मई 2022
0
1
0

उड़ती पवन पंछियों संग उस पार सरहद के चली। न रोके कोई न टोके कोई गुनगुनाती चली मुस्कुराती चली। उस पार सरहद के चली।   नदिया से मिलकर सागर पे लेटी बालू के कण कुछ लेती चली। इत्र उड़ाएं पंख फैलाए

12

पंखुड़ी एक गुलाब की

29 मई 2022
0
1
0

पंखुड़ी गुलाब की झूल रही डाल से। जुड़ने को मचल रही अपने परिवार से।   ढुलका दिया हवा ने पत्तों के आसपास। श्वास उसकी चल रही मजबूत थी उसकी पकड़।   नाज़ुक कोमल सी पंखुड़ी ऊर्जित थीं उसकी शिराएं

13

मेरे भारत देश में

29 मई 2022
0
0
0

लगी भीड़ गद्दारों की मेरे भारत देश में। छिपा यहाँ हर कोई न जाने किस भेष में।   खाते हैं जिस थाली में छेद उसी में करते हैं। भोजन गिरता थाली से नीचे फिर उस पर लपकते हैं।   रखे ताक पर शिक्षा को

14

पैरों से कुचला जाता है

29 मई 2022
0
0
0

परहित धरती का कण-कण प्राणोत्सर्ग को तैयार। केवल मानव ही करता स्वयं अपनी काया से प्यार।   लघु प्राणी तृण को देखो पैरों से कुचला जाता है। ऊर्जावान हमें बनाकर स्वयं प्रसन्न हो जाता है।   सूर्य

15

चहुँ ओर वसंत का शोर

29 मई 2022
0
0
0

वसंत लेकर आया शोर वन वन नाच रहे हैं मोर। नीरव स्वच्छ आकाश में होड़ लगी है चारों ओर।   पीली साड़ी पहने सरसों देखो खड़ी खेत में। अलसाये से अलक उसके चमकीली सी धूप में।   नहा रहा बाल गोपाल सौंध

16

प्रेम की क्यारी नारी

29 मई 2022
0
0
0

(1) प्रेम की क्यारी नारी स्नेह भरी अद्भुत फुलवारी। मां सीता सम देती परीक्षा जनक की जानकी दुलारी।   संघर्षों में पली बड़ी गुलाब की कोमल कली। हार न उसने मानी कभी सदैव ऊर्जावान रही।   वाणी के

17

ये कौन कर्मकार है

29 मई 2022
0
0
0

(1) हरी भरी घास में फूलों के अंग में धरती के संग में उड़ती पतंग में   ये कौन...रंग भरा रहा ये कौन प्रेम...कर रहा ये कौन...........? ये कौन कलाकार है ये कौन कर्मकार है।   (2) नीले आकाश में

18

मिटाने चले हो

29 मई 2022
0
0
0

तुम चले हो मिटाने नारी का वजूद। कहाँ तक मिटा पाओगे कहाँ-कहाँ नहीं है उसका वजूद।   दरवाजों की चरमराहट में खिड़कियों की खड़खड़ाहट में बरतनों के ठनकने में चूड़ियों के खनकने में। कहाँ तक मिटा पाओ

19

जब नहीं था बेतार का तार

29 मई 2022
0
0
0

ये बात उस जमाने की है जब नहीं था बेतार का तार। पर जुड़े थे मन के तार मन से मन के लिए मन को मिल जाता था संदेश। तार जुड़ते थे आत्मीयता के हिलोरों से हृदय हरिया जाता था।   ये बात उस जमाने की है

20

मैं जल-कल और हल हूँ

29 मई 2022
0
0
0

(1) धरती का अमोल रत्न हूँ मैं जल-कल और हल हूँ। चलता जीवन मेरे सहारे हरेक जीव का मैं बल हूँ।   एक बूंद को तरसती दुनिया ग्रीष्म से तड़पती दुनिया।               पक्षियों ने तोड़ा प्यास से दम     

21

जड़ों से जुड़े ये पुष्प हैं प्रवासी

29 मई 2022
0
0
0

वतन की ऊर्जा हिये में हर्षाये हरेक प्रकोष्ठ में धरा के समाये। रंग-रूप रीति-नीति धर्म-कर्म संग जड़ों से जुड़े ये पुष्प हैं प्रवासी।   सांसों में थामे कस्बाई हवा को उड़ चले सातों समंदर के पार। कु

22

पोटली सम्मानों की

29 मई 2022
0
0
0

सम्मानों की पोटली में हड़कंप मचा है हर कोई आज इसको आजमाने चला है।   इसकी आड़ में पनप रहे हैं धंधे बेरोजगारों को रोजगार मिल रहा है। खुली हैं दुकानें सरेआम मुंह सिल चुके हैं दरवाजों से झांक र

23

ये भी कभी हरे थे

29 मई 2022
0
0
0

करो मत बेरहमी इन सूखे पत्तों पर ये भी कभी हरे थे खेत- खलिहान घर-द्वार को संभाले मजबूती से खड़े थे।   इठलाते थे ऊंचे दरख्त पर हवा के झोकों के संग मुस्कुराते थे। युवकीय ऊर्जा से परिपूर्ण बैठकर

24

प्रेम ही शाश्वत सत्य

29 मई 2022
0
0
0

हौले-हौले लौट रहा जीवन अपनी पटरी पर। विकास की कली खिलेगी तमस के सीने पर।   भय जीवन का धर्म नहीं कर्म से जीवन बंधा। सुरक्षा का लेकर सहारा हर हाथ आगे को बढ़ा।   धीरे-धीरे सूरज लौटा हर-घर की च

25

एक दिन तुम ही जीतोगे

29 मई 2022
0
0
0

हार ना मानो लड़ते रहो सावधान हो ध्यान से। एक दिन तुम ही जीतोगे महामारी के वितान से।   माना संकट का साया है धरती की धरोहर पर। मंज़र उजड़ा-उजड़ा है हर घर की चौखट पर। बादल खुशियों के छाएंगे संस

26

छिपा ध्वनियों में अर्थ

29 मई 2022
0
0
0

प्रथम नाद फिर आए शब्द छिपा रव में रहस्यमयी अर्थ। आरोह-अवरोह राग है इनमें सात स्वरों का साथ है इनमें।   भावनाओं से ओत-प्रोत हैं ऊर्जा का अद्भुत स्रोत हैं। मंत्रों की महान महिमा है गायन शैली की

27

धूम मचाई झांसी में

29 मई 2022
0
0
0

मर्दानी थी झांसी रानी खूब लड़ी थी झांसी में। अंग्रेजों से लेकर लोहा धूम मचायी झांसी में।   एक अकेली होकर भी वे सवा लाख बराबर थी। नाम सुनते ही रानी का अंग्रेजों में ठनती थी।   मनुबाई था नाम र

28

रिश्तों में दीमक

29 मई 2022
0
0
0

हर तरफ विवादों की गली है                                      रिश्तों में दीमक लगने लगी है बिखरते रिश्ते उड़ता धुआं जलने की महक आने लगी है।   धीरज से रहना आता नहीं है अपनों का साथ भाता नहीं है

29

पाहिमाम् पाहिमाम्

29 मई 2022
0
0
0

संकट मोचन राम कण-कण के भगवान। कब आओगे धरती पर करने तुम कल्याण। पाहिमाम् पाहिमाम् पाहिमाम् पाहि।   त्राहि-त्राहि मची धरती पर महामारी का प्रकोप बड़ा है। हर मानव परेशान सा दुविधाओं में फंसा पड़

30

कण कण मंगल गायेगा

29 मई 2022
0
0
0

महामारी को त्रस्त करो तुम मनोबल के शस्त्र से। रहो सुरक्षित घर में अपने डटे रहो फिर साहस से। प्रलय के बादल छंट जाएंगे नया सवेरा आयेगा। जीवन सबका सुखमय होगा कण कण मंगल गायेगा।   नई ऊर्जा नया प्

31

कफन तिरंगा दे जाओ

29 मई 2022
0
0
0

चाह नहीं प्रभु महलों की तुम सैर कराओ। चाह नहीं प्रभु पुष्प रथ पर तुम चढ़ाओ। चाह प्रभु सिर्फ इतनी मेरी कफन तिरंगा दे जाओ।   मैं तो लघुकण इस धरती का दुर्लभ जीवन पाया है। कर्ज बहुत बड़ा धरा का

32

बावरा मन

29 मई 2022
0
0
0

बावरा मन भटके फूल-फूल कली- कली। किसको यह ढूंढे नगर-नगर गली- गली।   सांसों की डोर बंधी इनके पग घुंघरू से। जीवन में रस घुला खिलखिलाती खुशबू से। नन्हें-नन्हें पंखों से जब यह छम छमाए। देखते ही प्यार

33

बदलेगा जमाना

29 मई 2022
0
0
0

कुछ तुम बदलो कुछ हम बदले... बदलेगा जमाना। जैसा सोचा-जैसा चाहा फिर आएगा जमाना।   आकाश को छूने चला किस बात का डर राही। हौंसला ले डर से अपने चूम बुलंदियों को राही।   घबरा मत राह-रोड़ो से सुपथ

34

प्रेम प्यार का कोश है पिता

29 मई 2022
0
0
0

पिता है तो सारा जहान अपना है धरती आसमान अपना है। पिता मां की मांग का सिंदूर है पिता मेरे सपनों का गुरूर है।   पिता हर घर की दिव्य ज्योति है पिता परिवार का अद्भुत मोती है। पिता एक मजबूत कड़ी है

35

एक ही बगिया के दो फूल

29 मई 2022
0
0
0

भेदभाव करने का नहीं उठता प्रश्न। रक्त में संचरित दोनों का अंश।   बेटा बेटी एक समान दोनों पर है अभिमान। एक ही बगिया के दो फूल दोनों हरते हृदय शूल।   कोख में रख नौ माह सींचा खून पसीने से। पा

36

ताउम्र जीवित रहते हैं शब्द

29 मई 2022
0
0
0

शब्द कभी मरते नहीं हैं ताउम्र जीवित रहते हैं शब्द।   कब्र से निकलकर भी खड़े हो जाते हैं शब्द। शब्द कभी गिड़गिड़ाते कभी मुस्कुराते हैं शब्द। शब्द कभी मरते नहीं है ताउम्र जीवित रहते हैं शब्द।  

37

निकलेगा फिर सुख का चांद

29 मई 2022
0
0
0

दुख के काले बादल बीच निकलेगा फिर सुख का चांद। करो प्रतीक्षा श्रमरत रहकर मत डालो आलस का बांध   शत्रु है यह जीवन का दीमक सम यह लगता है। धीरे-धीरे खाता मन को काया को यह हरता है। कमजोर इच्छा शक्त

38

नमन

19 जून 2022
0
0
0

नमन-वंदन कीजिए  माँ सीता के चारू-चरणों का  करबद्ध वंदन कीजिए।  पुष्प-चरण पल्लव पर पड़े कँवल कलिका प्रफुल्लित हुई।  माँ की मुख-मंडल छवि को  शत- शत नमन कीजिए।  कष्ट हर्ता चरण-कमलों का  सदैव

39

राष्ट्रमाता- गौमाता

19 जून 2022
0
0
0

सृष्टि रचना की ब्रह्मा ने  आई धरती पर प्रथम गौ-माता। माँ-माँ का प्यारा शब्द  गौ-माता की बोली से आता।  मां समान दुग्ध पान कराती  पाल-पोस कर बड़ा बनाती। कामधेनु के रूप में  इच्छाओं को पूरा करती

40

बसेरा

19 जून 2022
0
0
0

किसी को उजाड़कर बसना,  बसना नहीं होता।  किसी को रुलाकर हंसना,  हंसना नहीं होता।  बसेरा तो बसेरा है  खग-मृग या नर का हो। वन-जंगल,पेड़-पौधों या  धरती-आकाश का हो। बसेरे में बसी होती है हर प्

41

महाराणा प्रताप

19 जून 2022
1
1
0

युद्ध भूमि में महाराणा  सिंह समान गरजे थे। दुश्मनों के छक्के- छुड़ा  मेघ- सम बरसे थे।  महाराणा को देख शत्रु  भय से कंपित हो जाता था।  पल-भर में राणा का भाला  छाती में धस जाता था।  रणभूमि म

42

जीवन का एक ध्येय बनाएं

19 जून 2022
0
0
0

आओ जीवन का लक्ष्य बनाएं  पर्यावरण को मिलजुल बचाएं।  सबका ध्येय पर्यावरण बचाना  वृक्ष लगाना प्रदूषण भगाना। जल, वायु, मिट्टी बचाना रोग मुक्त जीवन बनाना। प्रकृति का रक्षण करके  स्वच्छ वातावरण बन

43

यथार्थ

19 जून 2022
0
0
0

मन कचोटता रहता है  क्या लिखूँ-क्या लिखूँ  अंतस में सोचता रहता है।  यथार्थ लिखने से डरता है अंदर ही अंदर घुटा रहता है।  परिधि पार करेगी जब घुटन-टूटन, वेदना-संवेदना  फूटेगा तब हृदय-नासूर  उछल-

44

मैं दुंदभि हूं मैं नगाड़ा हूं

19 जून 2022
0
1
0

मैं दुंदभि हूं मैं नगाड़ा हूं  देवालयों का सहारा हूं।  चोट खाकर तन पर अपने मनमोहक स्वर उगलता हूँ।  कलयुग में हूँ अपाहिज  संस्कार-संस्कृति से जुड़ा हूं।  सदैव रहता हूं संग-साथी के  प्रेम-प्यार

45

पत्र पर पड़ी बूंदें

19 जून 2022
0
0
0

पत्र पर पड़ी जल की कुछ बूंदें  प्राण बलिदान करने को आतुर दुविधा में पड़ी जीवन-मृत्यु के। सूर्य देवता पी लेंगे ऊर्जा से खो जाऊंगी धरती के गर्त में बचा पाएगा कब तक पर्ण किसके काल का ग्रास बनूंगी

46

घर-घर होवे सच्चा ज्ञान

19 जून 2022
0
0
0

भारत की है,अपनी शान झंडे की है,अपनी आन। सर्वत्र फैले ज्ञान प्रकाश  सबका करो प्रेम सम्मान। पढ़ो-लिखो सब बनो सुजान  ज्ञान-विज्ञान नहीं अनजान। खुद मत गाओ अपना गान घर-घर होवे सच्चा ज्ञान। पर्य

---

किताब पढ़िए