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मैं अर्चना कश्यप... मेरी उम्र 32 साल है और मुझे कविता और समाज से जुड़े तत्वों पर लिखना बहुत ही अच्छा लगता है ये मेरी पहली कोशिश है

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बेबसी

बेबसी

कब तक घुटती रहोगी यूंही घुटन भरे इस घूंघट में... तोड़ के मौन तू मुंह तो खोल के बोल दे जो है तेरे मन में.... आजादी की चल रही हवा अब हटा हया का ये पर्दा... तू भी एक इंसान है बता दे सबको तेरी क्या है मर्यादा.... जितना तू दबती जाएगी ये दुनिया तुझे और

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कब तक घुटती रहोगी यूंही घुटन भरे इस घूंघट में... तोड़ के मौन तू मुंह तो खोल के बोल दे जो है तेरे मन में.... आजादी की चल रही हवा अब हटा हया का ये पर्दा... तू भी एक इंसान है बता दे सबको तेरी क्या है मर्यादा.... जितना तू दबती जाएगी ये दुनिया तुझे और

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