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शीर्षक-#नया सृजन दिखे जो हैं अब तक उत्पात- हो रहा था मानव का नाश, मगर जो दृश्य दिख रहे अब- जगी मन में इक प्यारी आस! हो रही अभी लुप्त जो थी- अचानक जगी नयी सी सांस, तन मन को कर दे स्वस्थ, सुनी
शीर्षक-लोरी गीत हे लाल! मेरे हे चांद मेरे! मीठे सपनों में तू खोजा, है देखना दुनिया परियों की अब जल्दी से तो तू सोजा ।। .. जो सोयेगा तू जल्दी से मैं चांद खिलौना लाऊंगी, फिर सुबह- सुबह ले साथ