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शब्दनगरी अपने शब्दों सेमहका दो शब्दों के संसार कोशब्दों में भर दो प्राण भावभाव जो सर्वर्त महक बिखेरे बन नवरंग चित्रो के चितेरे उकेर दो रचनाओ को मानस पटल पर ए मेरी शब्दनगरी ।