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अशाेक़ तिवारी की पुस्तकें

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अशाेक़ तिवारी के लेख

परधानी

23 अप्रैल 2015
2
1

अबकी हमहुँ लड़ब परधानी अबकी हमहुँ लड़ब परधानी जीत जाब तो हम परधान जी कहलैबे टूटी झोपड़िया का हम तो बंगला बनवैबे हम तो परधान जी कहलैबे मनरेगा के लेबरन ते हम अपने खेतवन मा काम करैबे हम तो परधान जी कहलैबे गांव के सड़क खोदाके आपन घर पुरवैबे हम तो परधान जी कहलैबे मनरेगा के पैसा ते हम दारु मुर्गा

बेमौसम बारिस

23 अप्रैल 2015
3
1

ये बेमौसम बारिस किसी को हंसा गयी किसी को रुला गयी ये बेमौसम बारिस ! शहरियों को गर्मी में शुकून दे गयी , गांव वालो के सीने में गम दे गयी ये बेमौसम बारिस , शहरी कहता है चलो आज बारिश का मजा लेते हैं , मोतीझील में , वहाँ पे चल के चाट बताशे खाएंगे , लेकिन किसान कहता है चलो देखते है क्या

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