ये बेमौसम बारिस
किसी को हंसा गयी
किसी को रुला गयी
ये बेमौसम बारिस !
शहरियों को गर्मी में शुकून दे गयी ,
गांव वालो के सीने में गम दे गयी
ये बेमौसम बारिस ,
शहरी कहता है चलो आज बारिश का मजा लेते हैं ,
मोतीझील में ,
वहाँ पे चल के चाट बताशे खाएंगे ,
लेकिन किसान कहता है
चलो देखते है क्या बचा है खेतों में
वहां पे चल के बचे खुचे गेहूं का अलाव जलाएंगे
मिली है ७५ रुपये की चेक, क्या खुद खाएंगे क्या बच्चों को खिलाएंगे
ये बेमौसम बारिस कहर ढा रही है
किसी को हँसा रही है किसी को रुला रही है ,
जाने कितने किसान मौत के आगोश में सो गए
लेकिन नेता जी तो राहत कैम्प लगा के सेलिब्रिटी हो गए
ये बेमौसम बारिस
किसी को हँसा गयी
किसी को रुला गयी