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परधानी

23 अप्रैल 2015

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अबकी हमहुँ लड़ब परधानी अबकी हमहुँ लड़ब परधानी जीत जाब तो हम परधान जी कहलैबे टूटी झोपड़िया का हम तो बंगला बनवैबे हम तो परधान जी कहलैबे मनरेगा के लेबरन ते हम अपने खेतवन मा काम करैबे हम तो परधान जी कहलैबे गांव के सड़क खोदाके आपन घर पुरवैबे हम तो परधान जी कहलैबे मनरेगा के पैसा ते हम दारु मुर्गा चटकैबे हम तो परधान जी कहलैबे दस बीस लाख दइके अपने चुन्नू का सरकारी दामाद बनैबे हम तो परधान जी कहलैबे चुन्नू की अम्मा का हम जेडस्क्वायर घुमैबे और हुवां पर मैकडोनाल्ड मा पिज़्ज़ा खवइबे हम तो परधान जी कहलैबे गांवसामाज़ के जेत्ती ज़मीन है पटवारी ते सेटिंग करिके अपने नाम करैबे हम तो परधान जी कहलैबे दुइ चार लाख खर्चा करिके राइफल बुलट ले अइबे हम तो परधान जी कहलैबे अपने घर मा कम ते कम बीस ठैया सोडियम लगवइबे हम तो परधान जी कहलैबे गाँव के सफाई कर्मी का हम घर क्यार नौकर बनैबे हम तो परधान जी कहलैबे अपनी छुटकी का रिश्ता हम मंत्री के घर मा रचवइबे हम तो परधान जी कहलैबे आस पास के गाँवन तक हम अवैध खनन करवइबे औ ओहते खूब दाम कमइबे हम तो परधान जी कहलैबे अपने छोटे भाई का हम बीडीसी लड़ाईके ब्लॉक प्रमुख बनवैबे हम तो परधान जी कहलैबे ई परधानी मा एत्ता दाम कमइबे की अगली बार घर बैइठे दामन के बल मा जीति जइबे हम तो परधान जी कहलैबे
अर्चना गंगवार

अर्चना गंगवार

वाह वाह बहुत खूब ।.....एकदम सही कहा ऐसे ही मन में ख्वाब लेकर आते है लोग ।...... लिखते रहिये ।......ऐसे ही कलम की अब ज़रुरत है

2 सितम्बर 2015

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बेमौसम बारिस

23 अप्रैल 2015
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ये बेमौसम बारिस किसी को हंसा गयी किसी को रुला गयी ये बेमौसम बारिस ! शहरियों को गर्मी में शुकून दे गयी , गांव वालो के सीने में गम दे गयी ये बेमौसम बारिस , शहरी कहता है चलो आज बारिश का मजा लेते हैं , मोतीझील में , वहाँ पे चल के चाट बताशे खाएंगे , लेकिन किसान कहता है चलो देखते है क्या

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परधानी

23 अप्रैल 2015
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अबकी हमहुँ लड़ब परधानी अबकी हमहुँ लड़ब परधानी जीत जाब तो हम परधान जी कहलैबे टूटी झोपड़िया का हम तो बंगला बनवैबे हम तो परधान जी कहलैबे मनरेगा के लेबरन ते हम अपने खेतवन मा काम करैबे हम तो परधान जी कहलैबे गांव के सड़क खोदाके आपन घर पुरवैबे हम तो परधान जी कहलैबे मनरेगा के पैसा ते हम दारु मुर्गा

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