सितारों,
आज कहां छुपे हो?
गुंफित से फिर नहीं दिखे हो
चमक दिखी
न दिखा वो नूर
कैसे भैया चकनाचूर?
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नहीं दिखेंगे अब से तुमको
क्या मिलेगा हमसे सबको
तिमिर गया
न गया वो अंधेरा
सूरज से ही होत सवेरा !
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करो न अपने दिल को छोटा
छोटे से बढ बनते मोटा
सूरज भी इक तारा है
तुमसे नहीं वो न्यारा है।
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ना मान मिला न होती पूजा
सूरज तो सबसे है दूजा
प्यार मिला उसको भरपूर
हम तो हो गये चकनाचूर,
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सुनो, सितारों बात हमारी
सुन्दरता पहचान तुम्हारी
खुद में जीना अच्छा है
जो मिला ,खूब वो सच्चा है
करो न अब तुम आनाकानी
आओ बाहर अमृत दानी
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