अवैध संबंध लघु आनंद देते है परंतु एक दीर्घ अपमान, अवसाद और गहन दुख का कारक होते है। अरे s s आज बहुत दिन बाद दर्शन दिए हैं, कैसी हो ?यह चेहरा उतरा हुआ क्यों है? क्या बात है?.. जया ने पूछा ... कुछ नहीं... दीर्घा ने आंसू छुपाते हुए कहा। जया बेचैन हो गई थी क्योंकि दीर्घा के आंसू उससे छिप ना सके थे। एक दोस्त के निश्चल प्रेम का हाथ कंधे पर आते ही दीर्घा जया के गले लग कर फूट-फूटकर रोने लगी। जया भी अपने बचपन की परम सखी को रोता देखकर रोने लगी थी। थोड़ी देर बाद जया ने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसका सिर अपनी गोद में रखकर उसके बालों को सहलाने लगी। बालों को धीरे धीरे सहलाने से दीर्घा सो गई थी। फिर जया ने धीरे से दीर्घा का सिर अपनी गोद में उठाकर तकिए पर रखा और रसोई में जाकर दीर्घा की पसंद के प्याज के पकोड़े, आमलेट और चाय बनाने लगी l लगभग आधा घंटे के बाद दीर्घा के जगने पर जया ने उसके सामने बेड पर ही ट्रे में चाय और नाश्ता रखा। पहले तो दीर्घा ने मना किया लेकिन जब जया ने हंसते हुए कहा कि.... अच्छा... पक्की सहेली से 5 साल बाद मिल रही हो और उसका कहना भी नहीं मानोगी। तुम्हें मेरी कसम है, पहले मुस्कुराओ और फिर अच्छी तरह से नाश्ता करो। दीर्घा ने मुस्कुराकर उसकी तरफ देखा और नाश्ता करने लगी। जया जब अपनी और दीर्घा की बचपन की अच्छी-अच्छी मीठी-मीठी बातें याद करने लगी तो दीर्घा भी खुश हुई और थोड़ा सा रिलैक्स हुई। नाश्ता खत्म होने के बाद जया ने बर्तनों को ट्रे में रखकर रसोई में रख दिया और वापस आकर दीर्घा के साथ बेड पर बैठ कर बोली..... हां ..बता ऐसा कौन सा गम है ,जो तू अकेले ही सीने पर बोझ की तरह लेकर चल रही है ,तूने मुझे क्यों नहीं बताया ।मैं और तू एकदम पक्के दोस्त हैं.... तू मुझे अब बता.. दीर्घा का चेहरा फिर से मायुसियत की तरफ मुड़ने लगा तो जया बोली.... अगर बताएगी नहीं तो समाधान कैसे निकलेगा। दुनिया में ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका हल ना हो। तेरी समस्या का समाधान भी जरूर होगा, तू बता....... जया और दीर्घा बचपन की सहेलियां थी। दोनों एक ही स्कूल में पढ़ती थी ।घर भी आसपास होने के कारण स्कूल के बाद भी एक साथ खेलती और पढ़ती थी। दोनों जब चाहे एक दूसरे के घर चली जाती। अक्सर अपना अपना खाना भी एक साथ बैठकर खाती थी। हर त्यौहार दोनों एक साथ मनाती और खूब मजा करती थी। जया मध्यम वर्गीय परिवार से थी और दीर्घा निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से थी। दीर्घा के पिता नहीं थे, वह तीन बहनों में दूसरे नंबर पर थी। उसकी मां एक फैक्ट्री में नौकरी करती थी और बहुत मेहनत से अपनी बेटियों को पाल रही थी ।दोनों सहेलियों ने स्कूल के बाद कॉलेज से ग्रेजुएशन भी साथ साथ किया था। जया की शादी लोकेश के साथ हुई थी जो कि बिजली विभाग में नौकरी करता था। दीर्घा की मां ने उसकी शादी एक छोटी सी पान की दुकान चलाने वाले सुरेश के साथ की थी। शादी के बाद जया का जीवन आराम से कट रहा था पर दीर्घा का जीवन कांटों की सेज बन गया था ।वह दिन भर सास ससुर और ननद की सेवा करती, घर का सारा काम करती, उसकी खाने की थाली पर सबकी निगाह रहती और टोका टाकी चलती रहती । रात को जब उसका पति शराब पीकर आता तो उसे खूब मारता पीटता ,गालियां देता। इसी मानसिक और शारीरिक तनाव के बीच दीर्घा की एक बेटी भी पैदा हो गई थी। दीर्घा ने अपने सारे दुख दर्द अपनी दोस्त जया को बताए थे ,जया उसे सांत्वना देती और हालातों से लड़ने का रास्ता सुझाती थी। 3 साल तक कष्ट सहने के बाद दीर्घा जब मायके आई तो वापस नहीं गई उसने तलाक की अर्जी डाल दी। हर पल जया दीर्घा के साथ थी। .....फिर ऐसा क्या था .... कि अपने मन की हर बात अपनी सहेली से साझा करने वाली दीर्घा ने 5 साल तक जया को भी नहीं बताया था, पर आज उसे रोने के लिए जया के कंधे की जरूरत पड़ गई थी। क्रमशः