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मैं अथाह समुद्र हूँ तू किनारा है मेरा मैं ढलती शाम हूँ तू उगता सूरज है मेरा मैं जाती हुई कोई सर्दी की रात हूँ तू बसंत की पहली फुहार है मेरा मैं धूप हूँ तो तू साया है मेरा मैं काँपती हुई सड़कों का