shabd-logo

मैं और तू

19 जनवरी 2022

13 बार देखा गया 13

मैं अथाह समुद्र हूँ तू किनारा है मेरा

मैं ढलती शाम हूँ तू उगता सूरज है मेरा

मैं जाती हुई कोई सर्दी की रात हूँ

तू बसंत की पहली फुहार है मेरा

मैं धूप हूँ तो तू साया है मेरा

मैं काँपती हुई सड़कों का सन्नाटा हूँ

तू दिवाली मानता कोई शहर है मेरा

मैं बुझती हुई लौ भी हूँ तो क्या हुआ ?

तू जलता हुआ चिराग़ है मेरा

तू आज भी है मेरा तू कल भी मेरा है

चाहें चटकती धूप सा बिखरता सा

चाहें तारों सा टिमटिमाता सा

हर हाल में बेहाली में

इक तू ही तो बस अपना है । ~अवंतिका केन (लेखिका )

अवंतिका केन की अन्य किताबें

1

मैं और तू

19 जनवरी 2022
0
0
0

मैं अथाह समुद्र हूँ तू किनारा है मेरा मैं ढलती शाम हूँ तू उगता सूरज है मेरा मैं जाती हुई कोई सर्दी की रात हूँ तू बसंत की पहली फुहार है मेरा मैं धूप हूँ तो तू साया है मेरा मैं काँपती हुई सड़कों का

2

मैं और तू

19 जनवरी 2022
0
0
0

मैं अथाह समुद्र हूँ तू किनारा है मेरा मैं ढलती शाम हूँ तू उगता सूरज है मेरा मैं जाती हुई कोई सर्दी की रात हूँ तू बसंत की पहली फुहार है मेरा मैं धूप हूँ तो तू साया है मेरा मैं काँपती हुई सड़कों का

3

मैं और तू

23 जनवरी 2022
1
1
0

मैं अथाह समुद्र हूँ तू किनारा है मेरा मैं ढलती शाम हूँ तू उगता सूरज है मेरा मैं जाती हुई कोई सर्दी की रात हूँ तू बसंत की पहली फुहार है मेरा मैं धूप हूँ तो तू साया है मेरा मैं काँपती हुई सड़कों का

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए