का हो भईया जी , कइसन हो ... आशा करते हैं ठीक ही होंगे .....
भईया जी, आजकल इ लोकतंत्र के चौथा खम्बा अर्थात मीडिया को का हुई गवा है ... हमका काहे अइसन लागत है की सारा का सारा न्यूज चैनलवा खम्बा चढ़ाये बैठा है. सबका सब अलग अलग चुनावी सर्वे का खबर दिखावत हैं .. काहे कन्फ्यूज करते हो भाई ... अइसन लगत है की सब का ब्रांड अलग अलग टाइप का है , अरे भैया, ब्रांड आप लोग चेंज करे रहे और कॉकटेल हमहू होवत है.. काहे नहीं एक दुकान का एक ब्रांड पीते हो ??? ... ठीक है ठीक है नाराज नहीं होइए हम एकतरफा वाली बात नहीं कर रहे लेकिन फिर भी थोड़ा तो समानता रखो न भाई, कभी कभी एकाध बार पडोसी न्यूज़ चेनलवा के घर भी झांक लेवो जी की उ का कहता है और का दिखावत है ... एक दिखाता है ईरान तो दूसरा दिखता है तूरान .. चलो हम इ भी समझ सकते हैं की थोड़ा बहुत लाभ भी देखना होता है तो ऐसा करना पड़ता है ... लेकिन उन न्यूज़ चेनलवा के का कहे जो इराने ईरान दिखावत हैं तूरान का कुछ पताये नहीं है ...... या तूरान दिखावत हैं तो ईरान का पताये नहीं है ..
हमें का पता की आप लोगन का कहाँ कहाँ का का सेटिंग चल री है ... हम तो बस थोड़ा सा नॉलेज लेने की खातिर समाचार देखे आवत हैं, और आप लोग है की सिर्फ अपना अपना वफादारी दिखाए के खातिर हमका कुछ भी परोस देत हो ..
इ बात सत्य है की हमारे इस लोकतान्त्रिक देश में हर कोई स्वतंत्र है ... पर इसका मतलब इ तो नहीं की मीडिया अपनी स्वतंत्रता के हिसाब से हमें कुछ भी दिखाय देगी .. अगर ऐसा है तो अब का हमें इंडिया गेट पर जाकर मोबत्ती जला कर अपनी बात माईबाप (सरकार) को बतानी होगी की ... हुजूर चौथा खम्बा (मीडिया) में दरार सी देखते हैं कृपा करके खम्बा को ठीक ठाक कीजिये या फिर इ खम्बा हटा के नया कुछ रिप्लेसमेंट दीजिये जो अच्छा खासा मजबूत हो .... आइ मीन टू से की भाई इस चौथे खम्बे को निगरानी का बहुत जरुरत है ...
मानते है की इ मीडिया का बहुत फायदा भी है कभी कभी अच्छा भी दिखाते हैं अपने हिसाब से .. और उ सब हमारे हिसाब से भी मैच कर जाता है और हमें फील गुड करवाता है, साथ साथ बाजार में कोन कोन नया साबुन, सेम्पु , खुसबू फेकन वाला, जाँघिया बनियान आया है इस बात का भी खबर देता है .. आई अप्रिसिएट ..
अंत में (अभी हम मर नहीं रहे भाई) कहना चाहेंगे की कई ऐसा पहलु भी है जो मीडिया के बारे में अच्छा है, अब हम वाद विवाद प्रतियोगिता तो कर नहीं रहे की भाई या तो पछ में बोलेंगे या फिर विपछ में ... ... हम तो बस बोल दिए जितना मन हुआ .. किसको कम लगा और किसको ज्यादा लगा इसकी परवाह किये बिना ... फिर भी लिख देते हैं जिन भी महानुभाव को बुरा लगा उसके लिए हम छमाप्रार्थी हैं ...
आप सबका प्यार बना रहे इसकी कामना रखते हैं ... ( आखिरकार ऑफिस का आधा घंटा ख़राब करके इतना सब कुछ लिखे हैं )
छापने वाला
दीपक उपाध्याय