तुलना न करें :
हर बच्चे में अपनी स्वयं की प्रतिभा होती है| यह प्रतिभा पड़ोसी या रिश्तेदारों
के बच्चों में पाए जाने वाली प्रतिभाओं से बिल्कुल अलग होती है| इसलिए अपने बच्चे
की तुलना, दूसरे बच्चों के साथ करने से आप निश्चित ही उनके आत्मविश्वास को ठेस पहुंचाते
हैं। और बार-बार बच्चों की तुलना करने पर उन्हें महसूस होने लगता है कि उनमें कोई
खास बात है ही नहीं। वे बिल्कुल बेकार हैं। वे स्वयं को दूसरों से कम आंकने लगते
हैं।
दबाव न डालें:
बच्चे के नेचर के विपरीत जाने की कोशिश न करें। बच्चे को कम उम्र से अच्छी
बातें सिखाना और बताना अच्छी बात है, लेकिन उस पर दबाव डालकर उससे कुछ न करवाएं, उसे सहज तरीके से जीने
दें। अक्सर अभिभावक बच्चों पर घर से बाहर निकलने, दोस्तों से मिलना- जुलने, बाहर बगीचे में खेलने और हर वक्त सिर्फ पढ़ाई करते रहने का दबाव डालते हैं।
आपके ऐसे करने से बच्चे का कोई फायदा तो नहीं होगा उल्टा अपनी इच्छाओं को पूरा न
होते देख आपका बच्चा अंदर ही अंदर घुटने लगेगा| आपके दबाव में वो पढ़ाई तो कर लेगा
लेकिन उसके नंबर भी अच्छे आ जाएँ ये
जरुरी नहीं| लेकिन जीवनभर उसके दिल में इस कारण अपने अभिभावकों के प्रति खराब छवि जरुर
बन सकती है| हो सकता है कि बच्चा, भविष्य में बड़ा आदमी बन जाए, लेकिन उसे यह हमेशा दुख रहेगा कि उसके अभिभावकों ने उसका बचपन छीन लिया और उसे
कुचल कर रख दिया।
स्वविवेक के साथ बच्चे की साइड लें:
दुनिया में बहुत सारे ऐसे पैरेंट्स भी हैं जो अपने बच्चे को सबसे परफेक्ट
समझने लगते हैं। रिश्तेदारों या पड़ोसियों से मिलने पर भी वे अपने बच्चे की तारीफें
कुछ ज्यादा ही करने लगते हैं। अगर उनका बच्चा कुछ गलत करता है और दूसरे बच्चे या
स्कूल के टीचर इस बारे में शिकायत करते हैं तो भी वो उनकी शिकायत को दरकिनार कर अपने
बच्चे को ही सही ठहराते हैं, लेकिन अभिभावक भूल जाते हैं कि उनकी इसी आदत का बच्चे गलत फायदा भी उठा सकते
हैं। अपने बच्चे की साइड लेना या उनकी बात सुनना एक हद तक तो सही है, लेकित गलत होने पर भी
उनकी तरफदारी करना बिल्कुल गलत है। अगर आपके बच्चे की गलती है तो उसे उसका अहसास
कराएं और उसे उस गलती के लिए सजा देने से भी चूके नहीं। जब तक बच्चे को पछतावा न
हो जाए, तब तक उसे एहसास कराएं।
जरूरत से ज्यादा कोई काम न करें:
बच्चे को अच्छी परवरिश देने के लिए हर चीज़ में बैलेंस रखना बहुत जरूरी है। कोई
भी काम जरूरत से ज्यादा न करें, जैसे- बच्चे की गलती पर जरूरत से ज्यादा चिल्लाने से बच्चा सहम सकता है। इससे
उसकी ग्रोथ पर असर
भी पड़ सकता है| वह इस कारण वह आपसे
बात करने में हिचकिचाने भी लगेगा। बच्चे की गलती पर उसे समझाएं। उसकी गलती का
एहसास कराएं, लेकिन अपने गुस्से पर काबू रखें। ठीक इसी तरह से बच्चे को जरूरत से ज्यादा प्यार
देने से भी बच्चा बिगड़ने लगता है। इतना ही नहीं, इस कारण वे अपने पैरों
पर खड़े होने में ज्यादा वक्त लेते हैं और उनमें आत्मविश्वास की कमी भी दिखने लगती
है। (साभार:दैनिक भास्कर)