देह बिना खाये कई दिनों रह सकता है लेकिन बमुश्किल 2 से 3 दिन में पानी बिना इसका मृत होना तय है | यही बात बेज़ुबान
जानवरों पक्षियों पर भी लागू होती है | उल्लेखनीय है कि इन दिनों भारत में आईपीएल ( इंडियन प्रीमियर लीग) का 9 वां
संस्करण चल रहा है| निःसन्देह इस आयोजन से भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर लोगों को रोजगार मिलता है | लेकिन सवाल
जब जान की आये तो सारी बातें गौण हो जाती हैं | ये भी काबिलेगौर है कि गर्मी के दिनों में ही ये मैच होते हैं जब पानी की
सबसे ज्यादा जरुरत होती है |
क्रिकेट में रोमांच है पैसा है सही बात है लेकिन आज के परिदृश्य जबकि पूरे साल आपको क्रिकेट किसी ना किसी फॉर्मेट में दिख रहा हो फिर इसका आकर्षण या आईपीएल का जादू कहीं ना कहीं कम होता दिख रहा है | जिसका साक्ष्य है टेलीविज़न पर
नागिन जैसे सीरियल से आईपीएल का टीआरपी जंग में पिछड़ना| बात ये नहीं कि नागिन जैसे सीरियल की प्रासंगिकता आज क्यों है ? इस पर कभी और चर्चा हो सकती है | फिलहाल तो प्रश्न पानी की उपलब्धता को लेकर है |
आज जब 10 से भी अधिक राज्यों में सूखे की मार है | मानव के साथ ही पशु- पक्षी प्यास से अपने प्राण गंवा देने को मजबूर हैं| इस कड़ी में सरकार हो या जनता अपने नैतिक मूल्यों से पीछे नहीं हो सकती| सबको पता है कि आईपीएल मैच से पहले
स्टेडियम की तैयारी में लाखों गैलन पानी बर्बाद हो जाते हैं जिनका प्रयोग कई जिंदगियों को बचाने में किया जा सकता है | इसमें सरकार के साथ ही हम सबको भी जागरूक होना पड़ेगा और जल संरक्षण पर ध्यान देना होगा | वरना आज तो क्रिकेट को परे रखने की बात हो रही है | आगे और किसको परे रखने की बात हो कुछ कहा नहीं जा सकता |
किसी की लाश पर मातम के बजाय क्रिकेट के रोमांच में खुशियां मनाना कम से कम मानवता का काम नहीं| ये मानव मूल्यों का पतन है | ये बात किसी को नहीं भूलना चाहिए कि आईपीएल के बिना ज़िंदा रह सकते हैं लेकिन पानी बिना ???