,, ,, बादल और बिजली ,,
,, बादल कहता है बिजली से,,
,, तूं जाना है तो अपने आप जा,,
,,तू तो सर्जन का विसर्जन करें,,
,, उस आफत में मेरा काम कहा,,
,, बिजली कहती हैं बादल से,,
,, ऐसे तो तूं मेरा कुछ नहीं लगता,,
,,पर साथ आने जाने का ये,,
,, तूं तोड़ कैसे सकता है नाता ? ,,
,, ठीक है साथ आना है तो आ,,
,, सिर्फ चमक के थोडा मुस्कुराना,,
,,तो वादा करो कि तुमको ,,
,, आकाश से जमीं पे नहीं है जाना,,
,, अरे सबकुछ नाश मैं करुं,,
,, तूं सिर्फ मुझे ना दोषी ठहरा,,
,,जिसकी ताकत पेड़ उखाडें,,
,, उसका नाम तूं यहीं पे ला,,
,,वो वो तो महावीर के पिता,,
,,उनका नाम बीच में मत सुना,,
,, वे करते हैं या तूं करती है,,
,,वो सब जाके तूं इन्द्र को बता,,
,,तो चल तू मै भी चलती हुं ,,
,,देव दरबार में फैसला आया,,
,, सर्जन विसर्जन तीनों का काम,,
,, ये फैसला इन्द्र ने सुनाया,,
,, हिंदम् ,,, ✍️