,, काजल कभी कायनात में,,,
,, कभी कायनात काजल में,,,
,, हूझुम उभरता है हिंसकों का,,,
,, उसे फंसाने को दल-दल में,,,
,, कहीं फना हो जाता है इश्क़,,
,, कभी फना हो जाता है हुश्न,,,
,, वो मीटाने वाले मीट गए और ,,,
,,ये ह्यात है दिलों की हलचल में,,
,,हिंदम,,